बढते तापमान का गेहूं की खडी फसल पर पड रहा प्रभाव
कानपुर नगर, फरवरी माह से लगातार मौसम परिवर्तन और बढते तापमान में रवी की खडी फसल प्रभावित हो रही है, जो किसानों के चिंता कारण बनी हुई है। एक तरफ आवश्यकता से अधिक आलू का उत्पादन पहले ही किसानों के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है और उसपर बढते तापमान ने किसानों को परेशान कर दिया है। बीते सप्ताह से पड रही तेज धूप खेतों में गेंहूं की फसलो के लिए काफी हानिकारक मानी जा रही है, तेज धूप में फसल जल्दी सूखने के आसार है।
फरवरी माह के अंत में पारा 32 डिग्री पर जा पहुंचा, जहां बढती गर्मी ने लोगों का पसीना निकाल दिया तो वहीं किसानों के माथे पर भी चिंता की रेखायें खीच दी है। तेजी के साथ बढते तापमान में गेहूं की फसर प्रभावित हो रही है। किसानों का कहना है कि मार्च के अंत में गेंहूं कटान पर होता है लेकिन समय से पहले अधिक गर्मी गेहंू की फसल को पहले पका देगी, जिससे दाना छोटा रहा जायेगा और उन्हे नुकसान देगा। वहीं कृषि वैज्ञानिकों ने भी रवी की फसल की हल्की सिंचाई करते रहने को कहा है। बीते दिनों पश्चिमी विक्षोभ के चलते आसमान पर बादल तो दिखाई दिये लेकिन बढते पारे पर इसका कोई प्रभाव नही पडा। यदि इसी प्रकार की गर्मी रही या इससे अधिक पारा हुआ तो गेंहू की फसल खराब हो जायेगी। कृषि वैज्ञानिको ने कहा है कि खडी फसल पर यदि हवा का बहाव अधिक हो तो हल्की, स्पिं्रकलर से सिंचाई करे ताकि गेंहू के पौघों में झुकाव न आये।
सूखने लगी गंगा, तेजी से उतर रहा गंगा का जल स्तर
बढती गर्मी और तापमान के चलते गंगा के जल का स्तर काफी तेजी से कम हो रहा है। कानपुर कटरी में किसानों द्वारा खीरा, ककडी, तरबूज, तरोई आदि की जो भी फसलें बोई गयी है, अब उनमें पानी देने के लिए किसानों को काफी मशक्कत करनी पड रही है। घाटों से लगातार गंगा दूर होती जा रही है। किसानों का कहना है कि समय से फलों की खेती पर पानी देने की आवश्यकता होती है और ऐसे में गंगा में पानी कम होने से उन्हे परेशानी का सामना करना पड रहा है। बता दें कि कानपुर शहर के गुजरने वाली गंगा के बीच का भाग जहां पानी नही होता उसे गंगा कटरी कहा जाता है और हर वर्ष जब गंगा का जल स्तर कम होने लगता है तो यहां किसान अपनी गर्मी ऋतु की फसलों को बोता है। गर्मी में आने वाले खीरा, ककडी, तरोई, तरबूजा आदि मार्च के बाद से बाजार में आने शुरू हो जाते है। अब मार्च शुरू हो चुका है और यदि अभी से गंगा के जल स्तर में कर्मी हो गयी तो आने वाले मई-जून में और भी जल स्तर कम हो जायेगा।