‘ज्योतिर्विद वेद प्रकाश शास्त्री’
जय जगन्नाथ…..पुरी के राजा स्वयं अपने हाथों से झाडू़ लगाते हैं,और वो सोने की झाड़ू से होती है सफाई…!
आज भी हर साल जगन्नाथ यात्रा के उपलक्ष्य में सोने की झाड़ू से पुरी के राजा खुद झाड़ू लगाने आते है महाप्रभु जगन्नाथ को कलियुग का भगवान भी कहते है..!
पुरी में जगन्नाथ महाप्रभु अपनी बहन सुभद्रा और दाऊ बलराम के साथ निवास करते है मगर रहस्य ऐसे है कि आजतक कोई न जान पाया..!
हर 12 साल में महाप्रभु की मूर्ती को बदला जाता है,उस समय पूरे पुरी शहर में ब्लैकआउट किया जाता है यानी पूरे शहर की लाइट बंद की जाती है,लाइट बंद होने के बाद मंदिर परिसर को CRPF की सेना चारो तरफ से घेर लेती है,उस समय कोई भी मंदिर में नही जा सकता,मंदिर के अंदर घना अंधेरा रहता है.पुजारी की आँखों मे पट्टी बंधी होती है.पुजारी के हाथ मे दस्ताने होते है.वो पुरानी मूर्ती से “ब्रह्म पदार्थ” निकालते है और नई मूर्ती में डाल देते है.ये ब्रह्म पदार्थ क्या है आजतक किसी को नही पता.इसे आजतक किसी ने नही देखा.हज़ारो सालो से ये एक मूर्ती से दूसरी मूर्ती में ट्रांसफर किया जा रहा है.यह एक अलौकिक पदार्थ है जिसको छूने मात्र से किसी इंसान के जिस्म के चिथड़े उड़ जाए,इस ब्रह्म पदार्थ का संबंध भगवान श्री कृष्ण से है.मगर यह क्या है,कोई नही जानता.यह पूरी प्रक्रिया हर 12 साल में एक बार होती है उस समय सुरक्षा बहुत ज्यादा होती है!
भगवान जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार से पहला कदम अंदर रखते ही समुद्र की लहरों की आवाज अंदर सुनाई नहीं देती, जबकि आश्चर्य में डाल देने वाली बात यह है कि जैसे ही आप मंदिर से एक कदम बाहर रखेंगे, वैसे ही समुद्र की आवाज सुनाई देंगी.!
आपने ज्यादातर मंदिरों के शिखर पर पक्षी बैठे-उड़ते देखे होंगे, लेकिन जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुजरता.!
झंडा हमेशा हवा की उल्टी दिशामे लहराता है.दिन में किसी भी समय भगवान जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नहीं बनती..!
भगवान जगन्नाथ मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित झंडे को रोज बदला जाता है, ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा,इसी तरह भगवान जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है,जो हर दिशा से देखने पर आपके मुंह आपकी तरफ दीखता है.!
भगवान जगन्नाथ मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए मिट्टी के 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं,जिसे लकड़ी की आग से ही पकाया जाता है,इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है.!
भगवान जगन्नाथ मंदिर में हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तों के लिए कभी कम नहीं पड़ता, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि जैसे ही मंदिर के पट बंद होते हैं वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है.!
ईश्वरीय त्रिमूर्ति हम और आप सभी मित्रों को शांति,समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करें,पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा के पावन अवसर पर बहुत बहुत मंगलकामना..!
-:'||श्री जगन्नाथ स्तोत्र ||':-
इस स्तोत्र मैं यह आवश्यक है कि आप श्री कृष्ण का, उनके बड़े भ्राता श्री बलराम के साथ उनकी छोटी बहेन देवी सुभद्रा का ध्यान करे, और इसके बाद ही स्तोत्र का पाठ करें.!
पहले दो श्लोक से श्री कृष्ण, श्री बलराम, और देवी सुभद्रा को प्रणाम कर रहे हैं, तथा बाकी श्लोको से उनकी प्राथना है.!
मान्यता है कि नित्य सिर्फ एक बार पढ़ने से मानसिक शांती मिलती है, और कअष्टो का निवारण हो जाता है.!
||जगन्नाथप्रणामः ||
नीलाचलनिवासाय नित्याय परमात्मने |
बलभद्रसुभद्राभ्यां जगन्नाथाय ते नमः ||१||
जगदानन्दकन्दाय प्रणतार्तहराय च |
नीलाचलनिवासाय जगन्नाथाय ते नमः ||२||
||श्री जगन्नाथ प्रार्थना ||
रत्नाकरस्तव गृहं गृहिणी च पद्मा
किं देयमस्ति भवते पुरुषोत्तमाय |
अभीर, वामनयनाहृतमानसाय
दत्तं मनो यदुपते त्वरितं गृहाण ||१||
भक्तानामभयप्रदो यदि भवेत् किन्तद्विचित्रं प्रभो
कीटोऽपि स्वजनस्य रक्षणविधावेकान्तमुद्वेजितः |
ये युष्मच्चरणारविन्दविमुखा स्वप्नेऽपि नालोचका-
स्तेषामुद्धरण-क्षमो यदि भवेत् कारुण्यसिन्धुस्तदा ||२||
अनाथस्य जगन्नाथ नाथस्त्वं मे न संशयः |
यस्य नाथो जगन्नाथस्तस्य दुःखं कथं प्रभो ||३||
या त्वरा द्रौपदीत्राणे या त्वरा गजमोक्षणे |
मय्यार्ते करुणामूर्ते सा त्वरा क्व गता हरे ||४||
मत्समो पातकी नास्ति त्वत्समो नास्ति पापहा |
इति विज्ञाय देवेश यथायोग्यं तथा कुरु ||५||
श्री कृष्ण, श्री बलराम, और देवी सुभद्रा की जय हो !!!
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“श्री सीताराम ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान सदन”
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