चार जुलाई, लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को सरकार के सेवा, सुरक्षा और सुशासन के लिए समर्पित 100 दिन पूरे होने पर सरकार की उपलब्धियों का लेखा जोखा रखा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के इतिहास में 37 वर्षों बाद प्रचंड बहुमत के साथ फिर से सरकार बनाने के बाद सफलता पूर्वक सौ दिन के कार्यकाल का संचालन किया। हमने जो कहा, सो किया। यह प्रदेश में अलग-अलग सेक्टर के लिए की गई कार्य योजना का एक छोटा सा उदाहरण है। यह सरकार की दिशा को स्पष्ट कर देगी कि अगले पांच वर्ष में सरकार किस दिशा में आगे बढ़ रही है। यह बातें उन्होंने लोकभवन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहीं। इस दौरान सरकार की उपलब्धियों को लेकर एक पुस्तक का विमोचन किया गया और वीडियो भी दिखाया गया। इस दौरान उन्होंने गरीब कल्याण, किसान कल्याण, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधाएं, शिक्षा, अवस्थापना, निवेश, रोजगार और स्वरोजगार, विद्युत, ग्राम्य विकास, जल जीवन मिशन एवं ग्रामीण जलापूर्ति और वन एवं पर्यावरण सहित अन्य विभिन्न मुद्दों पर बेबाकी से बात रखीं। इस दौरान उन्होंने सरकार जनता के द्वार कार्यक्रम की उपलब्धियों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि दूसरा कार्यकाल हमें जनता ने दिया है, इसमें हम एक नई उड़ान के साथ अपनी यात्रा आगे बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने भारत की अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन डॉलर की बनाने का देश के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किया है, स्वभाविक रूप से उत्तर प्रदेश की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। हमारी सरकार ने 10 सेक्टर चुनकर व्यवस्थित कार्य योजना बनाकर उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने की ओर आगे बढ़े हैं। सीएम योगी ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में इस लक्ष्य को आगे बढ़ाते हुए हमने अगले पांच वर्ष की, जो कार्य योजना तैयार की है। इसमें सौ दिन के लक्ष्य जो तय किए गए थे, उन लक्ष्यों को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं, जो उत्तर प्रदेश की प्रगति और समृद्धि की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दौरान भाजपा प्रदेश अक्ष्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या, ब्रजेश पाठक, कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना, कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल आदि मौजूद थे। उत्तर प्रदेश के बारे में लोगों की धारणाएं बदलीं: सीएम योगी सीएम योगी ने विपक्ष का बिना नाम लिए हमला किया कि हम जानते हैं कि उत्तर प्रदेश 2017 के पहले परिवावारवाद, जातिवाद, भ्रष्टाचारवाद, दंगों और अराजकता के लिए जाना जाता था। उत्तर प्रदेश में अजीब सी स्थिति थी। पहचान का संकट उत्तर प्रदेश के सामने 2017 के पहले था। केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू करने की राज्य सरकार की इच्छा शक्ति नहीं दिखती थी, लेकिन हमने पांच साल में कानून व्यवस्था की बेहतर किया। कानून का राज स्थापित हो, इस दिशा में जो प्रयास किए देश के अंदर विश्वास के रूप में बदला। उत्तर प्रदेश के परसेप्शन के बारे में आम जनमानस के मन में विश्वास पैदा हुआ। उत्तर प्रदेश के बारे में लोगों की धारणाएं बदलीं। महाराष्ट्र को भ्रष्टाचार और अराजकता से मुक्त कराते हुए प्रधानमंत्री के विज़न की ओर ले जाएगी नई सरकार: सीएम सीएम योगी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि महाराष्ट्र के अंदर, भारतीय जनता पार्टी गठबंधन की सरकार बनी है, ये महाराष्ट्र को भ्रष्टाचार से मुक्त, अराजकता से मुक्त कराते हुए, प्रधानमंत्री जी के विज़न अनुरूप विकास के पथ की ओर अग्रसर होते हुए सुशासन की ओर ले जाएगी, जो जनता का जनादेश प्राप्त हुआ था, उस जनादेश के प्रति जनप्रतिनिधियों की प्रतिबद्धता का उदाहरण है, मैं इसके लिए वहां के मुख्यमंत्री ओर उपमुख्यमंत्री को हृदय से बधाई देता हूं।

अगले साल जनवरी में उत्तर प्रदेश आयोजित करेगा “ग्लोबल इनवेस्टर समिट

₹10 लाख करोड़ के औद्योगिक निवेश के लक्ष्य के साथ वैश्विक होगा जीआईएस-2023: मुख्यमंत्री

तीन दिवसीय होगा जीआईएस 2023, एमएसएमई को समर्पित होगा एक दिन

मुख्यमंत्री ने तय किया ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के रोडमैप, दिए जरूरी दिशा-निर्देश

● आदरणीय प्रधानमंत्री जी के “रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म” के मंत्र को आत्मसात करते हुए उत्तर प्रदेश देश में औद्योगिक निवेश के ‘ड्रीम डेस्टिनेशन’ के रूप में उभर कर आया है। उत्तर प्रदेश, देश की 06वीं अर्थव्यवस्था से दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।

● फरवरी 2018 में आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने उत्तर प्रदेश के प्रथम इन्वेस्टर समिट का उद्घाटन लखनऊ में किया था। उस समय हमें ₹4.68 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। विगत 05 वर्षों में इनमें से ₹03 लाख करोड़ से अधिक के प्रस्ताव जमीन पर उतारने में हमें मदद मिली है।

● जून 2022 में संपन्न तृतीय ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी में प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से ₹80 हजार करोड़ से अधिक की नई परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई। इनके माध्यम से 05 लाख प्रत्यक्ष और 20 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार के सृजन प्रदेश को प्राप्त होंगे।

● अगले वर्ष जनवरी माह में ‘उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर समिट’ का आयोजन किया जाना प्रस्‍तावित है। यह हमारी कार्ययोजना का हिस्सा है। इस बार हमें 10 लाख करोड़ के निवेश के लक्ष्य के साथ काम करना होगा। यह ग्लोबल इन्वेस्टर समिट नए “उत्तर प्रदेश की आकांक्षाओं को उड़ान” देने वाली होगी।

● सभी पक्षों से विचार-विमर्श कर यथाशीघ्र आयोजन की तिथि तय किया जाए। जनवरी 2023 में प्रवासी भारतीय दिवस हमारे लिए अनुकूल अवसर हो सकता है। आयोजन न्यूनतम तीन दिनी हो, इसमें एक दिन एमएसएमई के लिए नियत किया जाए।

● यूके, यूएसए, कनाडा, यूएई, स्वीडन, सिंगापुर, नीदरलैंड, इजरायल, फ्रांस, जर्मनी, साउथ कोरिया, मॉरीशस, रूस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में रोड शो आयोजित कर यूपी के ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। इन देशों में हमें अपनी टीम भेज देनी चाहिए, ताकि वहां के औद्योगिक जगत में उत्तर प्रदेश के ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के लिए अनुकूल माहौल तैयार हो सके।

● यह हर्ष का विषय है कि ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के लिए सिंगापुर ने स्वतः स्फूर्त भाव से फर्स्ट कंट्री पार्टनर बनने की इच्छा जताई है। इस पर विचार किया जाना चाहिए। वर्ष 2018 के इन्वेस्टर समिट में नीदरलैंड, जापान, स्लोवाकिया, फिनलैंड, चेक रिपब्लिक, मॉरीशस, थाईलैंड, नेपाल, बेल्जियम हमारे कंट्री पार्टनर रहे हैं। इस वर्ष इन देशों के साथ-साथ स्वीडन, बेल्जियम से भी संवाद किया जाए। इन देशों के राजदूत/हाईकमिश्नर से संपर्क करें।

● औद्योगिक क्षेत्र में विकास की अपार संभावना है। यह सेक्टर रोजगार का सबसे बड़ा साधन है। प्रदेश में औद्योगिक निवेश के माहौल को और बेहतर करने के लिए नियमों में समयानुकूल कतिपय बदलाव किए जाने जरूरी हैं। यथाशीघ्र राज्य की नई औद्योगिक नीति तैयार की जाए।

● फ़ूड प्रोसेसिंग, हैण्डलूम, पॉवरलूम, आईटी, बायो फ्यूल, फ़िल्म एंड मीडिया, टूरिज्म, सोलर एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहन, एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट, गेमिंग और कॉमिक इंडस्ट्री, खिलौना निर्माण, सिविल एविएशन, हाउसिंग एंड रियल एस्टेट आदि क्षेत्रों में औद्योगिक जगत की जरूरतों के मुताबिक नवीन इंडस्ट्रियल पॉलिसी तैयार की जाए। यह कार्य शीर्ष प्राथमिकता के साथ अगस्त के आखिर तक पूर्ण कर लिया जाना चाहिए। नीति व्यवहारिक हो, इसका ध्यान रखें।

● औद्योगिक इकाइयों के लिए भूमि प्राथमिक आवश्यकता है। प्रदेश में लगभग 01 लाख हेक्टेयर की भूमि है। प्रयास यह रहे कि समिट से पहले हम लैंड बैंक को और विस्तार दें। इसके लिए राजस्व विभाग की एक टीम गठित करें , जो निवेश के लिए उपयुक्त लैंड का चिन्हाकन कर लें। जिससे जो भी निवेशक यहां आएं तो उन्हें निवेश के लिए जमीन की कोई समस्या न हो।

● ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में प्रयास करें कि ₹50 करोड़ से अधिक राशि के निवेश के लिए समझौता पत्र राज्य स्तर पर किया जाना चाहिए। इससे कम धनराशि के निवेश प्रस्तावों के लिए जनपद स्तर पर एमओयू किया जाना चाहिए। इस कार्य की सतत मॉनीटरिंग और सहज क्रियान्वयन के लिए वेब पोर्टल तैयार किया जाए।

● जीआईएस 2023 के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए अलग-अलग टीमें गठित की जाएं। सभी सम्बंधित विभाग युद्धस्तर पर तैयारी शुरू कर दें। मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा इसकी सतत मॉनीटरिंग की जाती रहे। भारत सरकार से संवाद बनाकर आवश्यक मार्गदर्शन प्राप्त करें।

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