मां-बाप अपने बच्चों की खातिर कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं. चाहे इसके लिए उन्हें कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़ जाए. ऐसा ही एक मामला गुजरात से सामने आया है. गुजरात के कच्च स्थित मुंद्रा में बिहार से आकर एक परिवार रह रहा था. दंपति के दो बेटे हैं. जनवरी महीने में दोनों बेटे अचानक घर से लापता हो गए. माता-पिता ने उन्हें बहुत ढूंढा. पुलिस से भी मदद मांगी. लेकिन उस समय न तो पुलिस लड़कों को ढूंढ पाई और न ही माता-पिता. फिर बेटों को ढूंढने की खातिर माता-पिता भिखारी तक बन गए ताकि जगह-जगह घूमकर बेटों को ढूंढ सकें.
उन्हें आखिरकार कामयाबी मिल गई. दोनों बेटे उन्हें मिल गए. यह रियल कहानी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं है. बिहार का रहने वाला एक परिवार काम की तलाश में गुजरात आया. परिवार में पति-पत्नी और दो बेटे हैं. बड़े बेटे का नाम राहुल (14) और छोटे का नाम अर्पित (11) है. पिता ने बताया कि 15 जनवरी को राहुल और अर्पित घर से खेलते हुए निकले. इसके बाद वे घर नहीं लौटे. दोनों को दंपति ने खूब ढूंढा.
आस-पड़ोस और दोस्तों, सभी से दंपति ने बेटों के बारे में पूछा. लेकिन निराशा ही हाथ लगी. उन्होंने फिर पुलिस में इसकी रिपोर्ट दर्ज करवाई. पुलिस ने बच्चों की तलाश शुरू की. वो कहीं नहीं मिले. माता-पिता भी लगातार उन्हें ढूंढते रहे. तीन महीने बीत गए और बच्चों की कोई खबर नहीं लगी. तो माता-पिता को शक हुआ कि कहीं किसी भिखारी गैंग ने उनके बेटों का किडनैप तो नहीं कर लिया. इसलिए माता-पिता ने तय किया कि अब वो खुद अपने बेटों को ढूंढ निकालेंगे. चाहे इसके लिए उन्हें कुछ भी क्यों न करना पड़े.
काम-धंधा छोड़कर दंपति भिखारी बन गए. गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में दिन-रात भटकते रहे. एक आस थी कि कहीं से तो बच्चों का कुछ तो पता चलेगा. फिर उन्हें पता चला कि उनका बड़ा बेटा बिहार के एक भिखारी गैंग के पास है. वो उससे भीख मंगवा रहे हैं. इस समय वह भागलपुर में है. माता-पिता तुरंत भागलपुर पहुंचे. लेकिन वहां पता चला कि बड़ा बेटा भागलपुर में था जरूर. लेकिन वो वहां से भाग गया है. बच्चों की खोज भिखारी के भेष में दंपति ने जारी रखी. उनकी कोशिश कामयाब रही. उन्हें बड़ा बेटा बीकानेर से मिल गया. फिर 15 दिन बाद छोटे बेटे को भी उन्होंने पश्चिम बंगाल के हावड़ा से ढूंढ निकाला.