कर्मयोग जनकल्याण समिति द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन भगवत नाम के प्रसाद का रसपान करते श्रोता गण
लखनऊ(संवाददाता निशांत सिंह): प्रियदर्शिनी कालोनी सीतापुर रोड स्थित भागवत पार्क में श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन आचार्य संतोष भाई जी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण को इंद्र का अभिमान तोड़ना था। उनकी ओजस्वी वाणी से सभी सहमत हो गए और इंद्र देव भगवान श्रीकृष्ण गोपों को विश्वास दिलाने के लिए गिरिराज पर्वत के ऊपर दूसरे विशाल रूप में प्रकट हो गये और उनकी सामग्री खाने लगे यह देख सभी ब्रजवासी बहुत प्रसन्न हो गए.जब अभिमानी इन्द्र को पता लगा कि ब्रजवासी मेरी पूजा को बंद करके किसी पर्वत को पूज रहे हैं, तो वह बहुत क्रोधित हुए. तिलमिलाकर प्रलय करने वाले मेघों को ब्रज पर मूसलाधार पानी बरसाने की आज्ञा दी. इन्द्र देव को अभिमान था। इस अभिमान को समाप्त करने के लिए भगवान ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर प्रजा और वनस्पति को बचा लिया। भगवान श्री कृष्ण गोपाल हैं हमारी इंद्रियां गाय का स्वरुप है इंद्रियों का चरवाहा भगवान श्रीकृष्ण को बना देना ताकि इंद्रियां विषयों में रमण ना करें भगवान के चरणों में सभी इंद्रियों को समर्पित कर देना चाहिए गोपी ना स्त्री है ना पुरुष है गोपी एक भाव है जो पुरुष और स्त्री दोनों धारण कर सकते हैं गोपियों ने भगवान कृष्ण को अपना पति मानकर कात्यानी मैया की पूजा की भगवान ने सब गोपियों को ज्ञान देकर अपनी शरणागत प्रदान की भगवान श्री कृष्ण ने रास विहार के द्वारा देह भाव से ऊपर उठने की भक्ति बताई जीव और शिव का मिलन है कंस के अत्याचारों से पाप बढ़ने लगे नारद जी के समझाने पर भगवान श्री कृष्ण कंस का उद्धार करने मथुरा गए कंस अभिमान का प्रतीक है और अभिमानी का नष्ट हो जाना ही उसकी गति है अभिमान को त्याग देना चाहिए काम एवं क्रोध से ज्यादा अभिमान जीवन में घातक है भगवान ने अपने जीवन काल में सांदीपनि ऋषि के पास शिक्षा दीक्षा प्राप्त की भगवान के अनन्य सखा उद्ध्व जी को ज्ञान का अभिमान था। भगवान कृष्ण ने गोपियों को समझाने के लिए उद्ध्व जी से कहा, उद्ध्व जी ने गोपियों को जब समझाया तो गोपियों ने कृष्ण प्रेम के आगे कोई ज्ञान नहीं चाहिए, हम तो कृष्ण के प्रेम में ही मगन है।
गोपियों ने उनको भक्ति की कंठी पहना कर वापस कर दिया।ऊधो ने भगवान की अनन्य भक्ति प्राप्त की और ज्ञान का प्रचार किया।भगवान ने जरासंध का उद्धार किया जरासंध जरासंध को जरासंध को जरासंध को जरासंध को जरासंध को आचार्य जरासंध को आचार्य जी ने जरासंध को आचार्य जी ने जरासंध को आचार्य जी ने जरासंध को आचार्य जी ने जरासंध को आचार्य जी ने वृद्धा जरासंध को आचार्य जी ने वृद्धा अवस्था का रोग बताया जरासंध को आचार्य ने वृद्धा अवस्था का रोग बताया भगवान ने द्वारिका मे सेवा का कार्य करते हुए समाज की सेवा की मां रुकमणी की प्रार्थना पर नारद जी ने रुकमणी को भगवन द्वारिकाधीश के गुणों के बारे में बताया कालान्तर में द्वारिकाधीश ने रुक्मणी का हरण कर के उनसे विवाह रचाया रुक्मणी मंगल के अवसर पर भव्य झांकी बनाई गई
रामासरे जी की भजन मंडली ने सुन्दर भजन प्रस्तुत किये आओ मेरी सखियो मुझे मेहदी लगा दो मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो इस भजन पर सभी भक्तों ने ख़ूब नृत्य किया |
इस अवसर पर कथा मे प्रेम नारायण व्यास जी ,धर्म देव सिंह,निर्देश दीक्षित,राम कुमार सिंह ,श्याम सुन्दर शर्मा,नंदलाल गुप्ता, सिंह वीर सिंह,जितेन्द्र सिंह ,अजीत सोनी संजय सिंह,इंद्र प्रकाशजी,उमा प्रसाद पांडे,सुशील मोहन शर्मा,मुदित ,तनय सोनी,अथर्व राज मिश्रा,अनुज शुक्ला,रेखा श्रीवास्तव,निर्मला वर्मा ऋचा सचान आदि बहुत बड़ी संख्या में भक्तों ने भगवत नाम रस का रसास्वादन कर कथा का श्रवण किया।