लखनऊ। उत्तराखंड के तीन प्रमुख मंदिरों में छोटे कपड़े पहनकर प्रवेश पर पाबंदी के आदेश के बाद ब्रज के मंदिरों में भी इसी तरह की रोक लगा दी गई है। आगरा के कैलाश व अन्य प्रमुख मंदिर तो मथुरा के राधा बल्लभ समेत अन्य कई मंदिरों में अब छोटे कपड़े पहनकर आने वाले युवक और युवतियों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। कैलाश महादेव मंदिर के महंत पंकज गिरि के मुताबिक, हिंदू मान्यता के अनुसार मंदिरों में हमें परंपरागत कपड़े ही पहनकर आना चाहिए, इसलिए मंदिर में छोटे कपड़ों पर बैन लगा दिया गया है ताकि मंदिर की धार्मिक भावनाएं आहत ना हों।

मनकामेश्वर महादेव के महंत योगेश पुरी का कहना है कि भारतीय परिधान हमेशा से मंदिरों में आदर्श माना गया है। इसलिए श्रद्धालु भारतीय परिधान पहनकर ही आएं। इससे पहले मथुरा के राधा बल्लभ और राधा दामोदर मंदिर भी छोटे कपड़ों में श्रद्धालुओं के मंदिर में प्रवेश पर बैन लगा चुके हैं तो बांकेबिहारी मंदिर प्रबंधन ने भी इसका समर्थन करते हुए कहा है कि अमर्यादित वस्त्रत्त् पहनकर आने से लोगों की भावनाएं आहत होती हैं। यह सनातन संस्कृति और परंपरा के खिलाफ है। हम विरोध करते हैं।

हरकी पैड़ी पर जूते-चप्पल पहनकर नहीं जा सकेंगे

हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर जूते-चप्पल पहनकर जाने से रोक लगाने की तैयारी की जा रही है। डीएम की ओर से इसके लिए प्लान तैयार किया जा रहा है। पांच अलग-अलग जगह जूता स्टॉल और सामान घर बनाने की योजना है।

दक्षिण के मंदिरों में पहले से ही है रोक

छोटे कपड़ों पर बैन लगाने का यह पहला मामला नहीं है। मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के मंदिरों में जींस और छोटे कपड़े पहनने पर पाबंदी लगाई थी। पहले के समय में लोग मंदिरों में धोती कुर्ता, पायजामा कुर्ता और साड़ी पहनकर जाते थे लेकिन अब लोगों का पहनावा बदल गया है और मंदिरों में भी इसका असर देखने को मिला है। अब लोग मंदिरों में जींस, टी शर्ट, टॉप या मिडी पहन कर चले जाते हैं, क्योंकि आज ज्यादातर लोग यही कपड़े डेली रूटीन में भी पहनते हैं। अक्सर इन कपड़ों को लेकर मंदिरों में विवाद देखने को मिलता है।

आगरा के कैलाश महादेव समेत कई मंदिर प्रशासन ने भी यह सख्त नियम बनाया है कि सिर्फ भारतीय परिधान पहनकर आने वाले लोगों को ही मंदिर में प्रवेश की इजाजत मिलेगी। मंदिर के गोस्वामी के अनुसार मंदिर के बाहर बोर्ड लगाकर लोगों से अपील की गई है कि वे भारतीय परंपरा की पवित्रता को बनाए रखने वाले कपड़े ही पहनें। छोटे कपड़े पहनने वालों को मंदिर में अनुमति नहीं मिलेगी। मनकामेश्वर मंदिर के महंत योगेश पुरी का कहना है कि दक्षिण के कई मंदिरों में युवतियों के लिए ड्रेस कोड लागू है। महाराष्ट्र के मंदिरों में भी यह नियम है।

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