ब्रिटेन की पहली तुर्की मस्जिद बंद होने की कगार पर है. उत्तर-पूर्व लंदन के डाल्स्टन में मौजूद मस्जिद रमजान को चालू हालत में रखने के लिए मस्जिद इंतेजामिया के पास पैसा नहीं है. खबरों के मुताबिक, मस्जिद के बढ़ते खर्च और नमाजियों की कम होती संख्या की वजह से इसको बंद करने या इसका साइज छोटा करने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है.

मस्जिद संभालने वाले एर्किन गुनी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हाल के सालों में मस्जिद का बिल तीन गुना हो गया है. उन्होंने इस बात को भी माना कि क्षेत्र के मुस्लिम समुदाय से उनको ज्यादा दान और समर्थन मिलना शुरु हुआ है लेकिन अभी भी मस्जिद के भविष्य पर सवाल बना हुआ है. गुनी ने मीडिया को बताया कि वह मस्जिद को बंद नहीं करना चाहते हैं, लेकिन उनके पास कोई विकल्प नहीं बच रहा है.

एर्किन गुनी ने बताया कि हम तुर्की साइप्रस हैं. हमारे लोग या तो यहां से चले गए या मर गए हैं और शहर में 10-15 मस्जिद और खुल गई हैं. बता दें ये मस्जिद 1903 में बना सिनोगॉग है, जिसे यहूदी लोगों ने 1970 के दशक में छोड़ दिया था. जिसके बाद एर्किन गुनी के पिता ने इसको लिया और यहां पहली तुर्की मस्जिद बनाई. गुनी ने ये भी बताया कि शुक्रवार के दिन तो मस्जिद में अच्छी तादाद में नमाजी आते हैं लेकिन हफ्ते के अन्य दिनों में यहां बहुत कम लोग नमाज पढ़ने आते हैं. इसके पीछे की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि एरिया के रेट बढ़ गए हैं, और बढ़ती कीमतों की वजह से हमारे समुदाय के लोग दूसरी जगह चले गए हैं.

एर्किन गुनी ने मस्जिद के खर्चे के बारे में बताते हुए कहा मासिक खर्च लगभग 4 हजार पाउंड आता है और नमाजियों का दान हर जुमे को 200 से 400 पाउंड जमा किया जाता है. जोकि खर्चा पूरा करने के लिए नाकाफी है. इसके अलावा मस्जिद के रखरखाव पर हर साल 17 हजार से 20 हजार पाउंड खर्च होते हैं. गुनी को उम्मीद है कि अल्लाह जल्द कोई रास्ता निकालेगा और हमें मस्जिद नहीं बंद करनी पड़ेगी.

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