• संवाददाता: गंगेश पाठक

आज, 18 दिसंबर को सीएचसी जगदीशपुर का निरीक्षण करने के बाद कई अहम खुलासे हुए हैं, जिनसे स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। निरीक्षण के दौरान सीएचसी में कई संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मी अनुपस्थित पाए गए।
अनुपस्थित स्वास्थ्य कर्मी:
संविदा डॉक्टर पूनम सिंह
संविदा डॉक्टर प्रियंका
संविदा स्टाफ शिवबालक यादव, प्रीति गौतम, संतोष कुमारी, संजू मिश्रा
डेंटल सर्जन डॉक्टर प्रवीर कुमार
डॉ. रजनी कुमारी (सर्जन): 6 दिनों से लगातार अनुपस्थित
प्रीति गौतम और संतोष कुमारी (संविदा स्टाफ नर्स): 16, 17, और 18 दिसंबर को तीन दिन लगातार अनुपस्थित
नजीर फातिमा (नेत्र परीक्षण अधिकारी): अनुपस्थित
ममता उपाध्याय (स्टाफ नर्स): अनुपस्थित
निशा पासी (सहायक शोध अधिकारी): 17 और 18 दिसंबर को अनुपस्थित
आउटसोर्सिंग कर्मी: अनीता (इस महीने लगातार अनुपस्थित), गौरव सिंह, और तालिब खान अनुपस्थित पाए गए।

स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी पर सवाल:
यह गंभीर मामला तब सामने आया है जब मुख्य चिकित्सा अधिकारी अंशुमान सिंह ने सीएचसी का निरीक्षण किया और इन सभी स्वास्थ्य कर्मियों की अनुपस्थिति का खुलासा हुआ। यह कोई अकेला मामला नहीं है, बल्कि सीएचसी जगदीशपुर में यह समस्या लगातार बनी हुई है। स्वास्थ्य कर्मियों की अनुपस्थिति से मरीजों को भी गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

क्या कार्रवाई होगी?
इस स्थिति पर अब जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। जब एक ओर राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिए प्रयासरत है, वहीं दूसरी ओर ऐसी लापरवाही से न केवल मरीजों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि पूरी स्वास्थ्य प्रणाली की विश्वसनीयता भी दांव पर लगी है।

अब यह देखना होगा कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग इस पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। क्या वह अनुपस्थित कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, या यह भी अन्य मामलों की तरह दबा दिया जाएगा?
जनता की उम्मीदें:
अमेठी और जगदीशपुर क्षेत्र की जनता अब यह जानने के लिए उत्सुक है कि स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पर क्या कदम उठाएंगे। क्या वे इस गंभीर लापरवाही के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे और स्वास्थ्य सेवा की स्थिति सुधारने के लिए प्रभावी कदम उठाएंगे?

Translate »