कथा के 7 वें दिन (विश्राम दिवस)भगवत भजन में भाव विभोर हुए भक्तगण
लखनऊ (संवाददाता निशांत सिंह): कर्मयोग जनकल्याण समिति एवं अवध सेवा संकल्प समिति के तत्वाधान में आयोजित प्रियदर्शनि कॉलोनी सेक्टर -बी सीतापुर रोड लखनऊ स्थित भागवत पार्क में श्रीमद्भागवत कथा के 7 वें दिन (विश्राम दिवस) पर आचार्य श्री संतोष भाई जी ने बताया कि तीन तरह की लक्ष्मी होती है । एक लक्ष्मी धर्म के पथ पर चलकर घर में आती है जो सुख प्रदान करती है ।
दूसरी लक्ष्मी स्वार्थ सिद्धि के लिए आते हैं
और तीसरी पाप मार्ग से घर में आती है ।
आपके द्वारा कमाया गया धन परिवार में क्लेश लाता है। वही धन श्रेष्ठ है जो निर्बल दीन दुखियों की सहायता में लगे।
भगवान के भक्त अपने धन का एक हिस्सा धर्म के लिए खर्च करते हैं वही धर्म समस्त भक्तों की रक्षा करता है। श्रीमद्भागवत कथा में राजा नृग की कथा बताई
जिन्होंने अपने धर्म का पालन करते हुए बहुत सा दान किया लेकिन दान की हुई गाय को अपना मान लिया इसलिए अगले जन्म में गिरगिटान बनना पड़ा ।
भगवान भक्तों के ऊपर अनुग्रह करते हैं जिस जीव को कहीं प्यार से नहीं मिलता वह जीव भगवान की शरण में जाकर सुख को प्राप्त करता है श्रीमद्भागवत कथा में सुदामा चरित्र की संगीतमय कथा सुनाई गई। सुदामा भगवान का भक्त है और निर्माण है जो व्यक्ति के बीच अभिमान नहीं है वह सुदामा बन सकता है सुदामा भगवान के अनन्य मित्र हैं और उन्होंने भगवान की मित्रता से अपना जीवन भगवान के चरणों में समर्पित कर दिया।
श्रीमद्भागवत में दत्तात्रेय जी ने कहा है- अपनी बुद्धि के अनुसार बहुत से गुरुओं का आश्रय लिया। मेरे गुरु हैं- पृथ्वी, वायु, आकाश, जल, अग्नि, चंद्रमा, सूर्य, कबूतर, अजगर, समुद्र, पतंग, भौंरा या मधुमक्खी, हाथी, शहद निकालने वाला, हरिण, मछली, पिंगला वेश्या, कुरर पक्षी, बालक, कुंआरी कन्या, बाण बनाने वाला, सर्प, मकड़ी और भृंगी कीट। किसी से मैंने धैर्य और क्षमा का पाठ पढ़ा तो किसी से यह सीखा कि जन्म तो दूसरों का हित करने के लिए ही हुआ है। किसी से यह कि जीवन निर्वाह हो, उतना ही भोजन करें। जल से सीखा कि शुद्ध, स्निग्ध, मधुरभाषी और लोकपावन होना चाहिए। अग्नि से सीखा कि मन और इंद्रियों को वश में रखें। चंद्रमा से सीखा कि सब शरीर के साथ होता है, आत्मा के साथ नहीं। सूर्य से सीखा कि योगी पुरुष समय पर विषयों का ग्रहण करते हैं और समय आने पर उनका दान भी कर देते हैं।कथा के 7दिवस सभी पर सभी भक्त उत्साहित थे।
इसी के साथ कथा में संगीतमय वातावरण के साथ श्रीमद्भागवत कथा का पूर्णाहुति के साथ समापन हुआ। कथा मैं आज मुख्य रूप से महादेवा के महंत पी ,बी, दास जी,डॉ ए ,के दुबे , धर्मदेव सिंह ,राम कुमार सिंह,नंदलाल गुप्ता ,श्याम सुन्दर शर्मा, निर्देश दीक्षित,सिंह वीर सिंह,अजीत सोनी,जितेंद्र सिंह,संजय सिंह, घनश्याम त्रिपाठी,फूल चंद शुक्ला,दिनेश पाठक,अनुज शुक्ला, हरनाम वर्मा,श्री कांत मिश्रा, इन्द्र प्रकाश जी,शुशील मोहन शर्मा, उमा प्रसाद पाण्डेय,राहुल सिंह,अजेन्द्र मिश्रा (रिशु), बॉबी पाठक,रेखा श्रीवास्तव, सुधा पाठक,ऋचा सचान,निर्मला वर्मा,आदि काफी संख्या में भक्त गण उपस्थित होकर भगवत महिमा का रसपान किये।