
लू-प्रकोप से बचाव एवं राहत की तैयारियों के संबंध में जिलाधिकारी ने ली बैठक, अधिकारियों को दिए आवश्यक निर्देश
बाराबंकी,(संवाददाता सोमनाथ मिश्र): 15 अप्रैल, लू-प्रकोप से बचाव एवं राहत के लिये तैयारी तथा कार्ययोजना को मूर्त रूप दिये जाने के संबंध में जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने विकास भवन स्थित स्वर्णजयंती सभागार में बैठक करते हुए संबंधित विभागीय अधिकारियों को शासन की मंशा के अनुरूप कार्य करने के निर्देश दिए।बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने एसीएमओं से अस्पतालों में आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों के लिये छाया तथा पीने के पानी की उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में स्थापित संक्रामक रोग नियंत्रण कक्ष को सक्रिय रखते हुए नियमित अनुश्रवण किया जाए। प्रभावित जनता के देखभाल हेतु अतिरिक्त स्टाफ को प्रशिक्षित करने के साथ ही अस्पतालों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रो में ओआरएस के पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने हीट-वेव प्रबन्धन हेतु मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को निर्देशित किया कि पशुओं की सुरक्षा हेतु हीट-वेव एक्शन प्लान तैयार कर उसका प्रभावी क्रियान्वयन करें। साथ ही पशु केन्द्रों पर आवश्यक दवाओं का भण्डारण सुनिश्चित हो तथा पशु चिकित्सकों के माध्यम से ग्रामीणों को पशुओं की सुरक्षा एवं लू से बचाव हेतु जागरूक किया जाये तथा गौशालाओं में संरक्षित गौवंश हेतु पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी, छाँव, चारा आदि की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने जिला विद्यालय निरीक्षक/जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को समस्त शैक्षिक संस्थानों में छात्र/छात्राओं हेतु पेयजल तथा विद्यालयों में पावर सप्लाई व पंखे आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बच्चों को लू-प्रकोप से बचाव हेतु क्या करें क्या ना करें के बारे में अधिक से अधिक जागरूक किया जाए। उन्होंने जिला पंचायतराज अधिकारी को निर्देशित किया कि ग्रामीण क्षेत्रों के सार्वजनिक स्थलों, चौराहों व आवश्यकतानुसार सम्बन्धित ग्रामों में पानी की टंकी/टैंकरों आदि की व्यवस्था कराना सुनिश्चित के साथ ही ग्राम पंचायतों में ग्राम प्रधानों के माध्यम से के तालाबों में पानी भरवाने के निर्देश दिए। उन्होंने समस्त अधिशासी अधिकारी नगर पालिका/नगर पंचायतों व पंचायतीराज विभाग को अपने-अपने क्षेत्र में खराब हैण्डपम्पों की तत्काल मरम्मत कराने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने अग्निशमन विभाग को निर्देशित किया कि लू के मद्देनजर विभाग द्वारा मुख्यालय एवं तहसीलों में स्थापित उप केन्द्रों को आवश्यक संसाधनों सहित क्रियाशील रखा जाये एवं अग्नि से बचाव हेतु नागरिकों को जागरूक करें। जिलाधिकारी ने परिवहन विभाग को निर्देशित किया कि बड़े बस स्टैण्डों/टर्मिनलों पर प्राथमिक चिकित्सा, छाया एवं पेयजल की व्यवस्था, मैकेनिकल/इलेक्ट्रिक सिस्टम (पंखा/एसी) का प्राथमिकता के आधार पर समुचित रखरखाव तथा ट्रेनों एवं रेलवे स्टेशनों पर पेयजल की समुचित व्यवस्था की जाये। इसी प्रकार जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य विभाग, ऊर्जा विभाग, वन विभाग, श्रम विभाग के अधिकारियों को ग्रीष्मकाल की तैयारियों एवं हीटवेव कार्य योजना के सम्बन्ध में निर्देशित किया। उन्होने कहा कि सभी अधिकारी अपने-अपने दायित्वों का शत् प्रतिशत निर्वहन करें और दिये गये निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करायें, लापरवाही कदापि न बरते।
जिलाधिकारी ने हीट स्ट्रोक से बचाव के संबंध में ‘‘क्या करें, क्या न करें’’ के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देते हुए कहा कि प्रचार माध्यमों में सूचित हीट वेव (लू) संबंधी चेतावनी पर ध्यान दें। अधिक से अधिक पानी पियें। यदि प्यास नहीं भी हो तब भी थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें। हल्के रंग के पसीना शोषित करने वाले ढ़ीले वस्त्र पहनें। धूप के चश्में, छाता, टोपी व चप्पल का प्रयोग करें। यदि खुले में कार्य करने की आवश्यकता हो तो सिर, चेहरा, हाथ और पैरों को कपड़े से ढ़क कर रहें तथा छतरी का प्रयोग करें। लू से प्रभावित व्यक्ति को छाया में लिटाकर सूती गीले कपड़े से पोंछें तथा चिकित्सक से संपर्क करें। यात्रा करते समय पीने का पानी साथ ले जायें। ओ0आर0एस0, घर में बने हुए पेय पदार्थ जैसे लस्सी, चावल का पानी, नींबू पानी, छाछ आदि का उपयोग करें, जिससे शरीर में पानी की कमी की भरपाई हो सके। हीट स्ट्रोक, हीट रैश, हीट क्रैम्प के लक्षणों जैसे कमजोरी, चक्कर आना, सिरदर्द, उबकाई, अधिक पसीना आना, मूर्छा आदि को पहचानें एवं आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सक की सलाह लें। अपने घर को ठंडा रखें। कार्य स्थल पर ठंडा पेयजल रखें। कार्मिकों को सीधी सूर्य की रोशनी से बचने हेतु सावधान करें। श्रमसाध्य कार्यों को ठंडे समय में करने एवं कराने को प्राथमिकता दें। बच्चों और पालतू जानवर को खड़ी गाडियों में अकेला न छोडें। दोपहर 12 बजे से 03 बजे के मध्य सूर्य की रोशनी में जाने से बचें। गहरे रंग के भारी तथा तंग कपड़े न पहनें। अधिक प्रोटीन तथा बासी एवं संक्रमित खाद्य एवं पेय पदार्थों का प्रयोग न करें। अल्कोहल, कार्बोहाइड्रेट, सॉफ्ट ड्रिंक, चाय व कॉफी पीने से परहेज करें।
जिलाधिकारी ने सभी अधिकारिओं से अपने अपने कार्यालयों में छाया तथा पीने के पानी की उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिये। उन्होने कहा कि ग्राम तथा विकास खण्ड स्तर के कार्यालय में आने वाले लोगांे को किसी प्रकार की समस्या न हो। कार्यालयों में सम्भव हो तो ओआरएस का पैकेट रखना सुनिश्चित किया जाये। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी अन्ना सुदन, अपर जिलाधिकारी वि0/रा0 अरूण कुमार, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ डी के श्रीवास्तव, उप जिलाधिकारी राजेश विश्वकर्मा, जिला विकास अधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिला पंचायतराज अधिकारी, अधिशासी अभियन्ता विद्युत/लघु सिंचाई, समस्त खण्ड विकास अधिकारी, जिला आपदा विशेषज्ञ तथा अन्य सम्बन्धित अधिकारीगण उपस्थित रहे।