नई दिल्ली : अरुंधति राय के ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत मामला चलाने को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल की मंज़ूरी पर शिव सेना उद्धव ठाकरे गुट की राज्यसभा सांसद और पार्टी प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने टिप्पणी की है.
उन्होंने मीडिया से कहा ये पुराना मामला है, जिसे अभी उठाया जा रहा है.
उन्होंने कहा, “ये 2010 का मामला था. मैं ये कहूंगी कि जो उन्होंने कहा वो सरासर ग़लत है. जम्मबू कश्मीर को लेकर जो उन्होंने कहा वो ग़लत है. जम्मू और कशमीर देश का एक अभिन्न अंग है और कोई भी इसमें दरार डालने की कोशिश करेगा तो हमन उसका विरोध करेंगे.
उन्होंने इस पर सवाल उठाते हुए कहा, “लेकिन साथ ही साथ सवाल ये उठता है कि 2010 का ये मामला है. 10 साल से केंद्र में सरकार मोदी जी की है. वही मोदी जी, वही यशस्वी प्रधानमंत्री जो कहते हैं कि पाकिस्तान को 56 इंच का सीना दिखाई है, लाल-लाल आंखें दिखाई है… वो इस मुद्दे को लकर चुप क्यों थे?”
10 साल के बाद जब गठबंधन सरकार बनी है, कम बहुमत की सरकार बनी है, वो इस पर कार्रवाई की बात करते हैं तो दिखाता है कि कहीं न कहीं ये राजनीतिक फ़ैसला है न कि एक सही फ़ैसला जो देश के हित में हो.
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “मैं फिर से कहूंगी कश्मीर को अलग हिस्सा बताना बिल्कुल निंदनीय है, मैं इसका विरोध करती हूं. लेकिन वो बात 2010 में कही गई है उसे फिर से वापिस मेनस्ट्रीम में लाना कहीं न कहीं ग़लत होगा, क्योंकि 370 धारा हट चुकी है, जम्मू कश्मीर में बहुत सारे और बदलाव आए हैं.”
ये बात है कि आतंकी हमलों में किसी तरीक़े से कमी नहीं आई है पर उम्मीद करती हूं कि केंद्र सरकार उसका संज्ञान लेकर पाकिस्तान प्रायोजित ये जो टेररिस्ट हैं उसने निपटेगी.”
शुक्रवार को दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने लेखिका अरुंधति रॉय और कश्मीर के डॉक्टर शेख़ शौकत हुसैन के खिलाफ़ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी यूएपीए के तहत मुक़दमा चलाने की अनुमति दी थी.
अरुंधति रॉय को उनकी किताब ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ के लिए 1997 में बुकर पुरस्कार मिला था.
शेख शौकत हुसैन कश्मीर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल लॉ के पूर्व प्रोफेसर हैं.
यह मामला 27 नवंबर 2010 का है. उपराज्यपाल के दफ़्तर से जारी बयान में कहा गया है कि ‘दिल्ली के एलटीजी ऑडिटोरियम में ‘आज़ादी – द ओनली वे’ नामक कॉन्फ़्रेंस के बैनर तले ‘कश्मीर को भारत से अलग करने’ का प्रचार किया गया था.’