गैर-एनडीए और गैर-इंडिया दलों को बड़ा सबक दिया

लोकसभा चुनाव के नतीजों ने गैर-एनडीए और गैर-इंडिया दलों को बड़ा सबक दिया

2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों ने गैर-एनडीए और गैर-इंडिया दलों को बड़ा सबक दिया है. जो किसी भी तरफ नहीं थे, अब वह किसी लायक नहीं रह गए हैं. कई पार्टियां तो अपना खाता भी नहीं खोल पाईं और कुछ ने तो अपनी सत्ता तक गंवा दी. चाहे वह बहुजन समाज पार्टी (बसपा), एआईडीएमके, भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस), बीजू जनता दल (बीजेडी) हो या फिर वाईएसआर कांग्रेस और शिरोमणी अकाली. जिन निर्दलीय प्रत्याशियों की भी जीत हुई, उनका कनेक्शन या तो INDIA से था या NDA से.

लोकसभा चुनाव के साथ ही दो बड़े प्रदेशों में विधानसभा चुनाव (ओडिशा और आंध्र प्रदेश) भी हुआ था. ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजेडी) की सरकार थी तो आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी सीएम थे. यह दोनों पार्टियां (बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस) न तो NDA का हिस्सा थी और न ही INDIA का. इत्तेफाक है कि दोनों ने अपने-अपने राज्य की सत्ता गंवा दी और लोकसभा चुनाव में सबसे खराब प्रदर्शन किया. बीजेडी तो लोकसभा में अपना खाता तक नहीं खोल पाई, जबकि 22 सीट जीतने वाली वाईएसआर कांग्रेस इस बार चार सीट पर सिमट गई.

वहीं उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) न तो NDA का हिस्सा थी और न ही INDIA का. इसका खामियाजा उसे उठाना पड़ा. बीएसपी अपना खाता नहीं खोल पाई और 3 फीसदी वोट भी गंवा बैठी. बीएसपी का वोट प्रतिशत 10 फीसदी से नीचे आ गया है. ऐसा ही हाल 10 साल तक तेलंगाना की सत्ता में रही भारतीय रक्षा समिति (बीआरएस) का रहा. बीआरअस भी अपना खाता नहीं खोल पाई और उसका वोट प्रतिशत 17 फीसदी के करीब आ गया. बीआरएस भी न NDA का हिस्सा थी और न ही INDIA का.

तमिलनाडु में AIADMK भी इस बार अपना खाता नहीं खोल पाई, जबकि 2019 में उसने NDA के साथ रहकर एक सीट पर जीत हासिल की थी. इस बार वह एनडीए से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ रही थी. जम्मू-कश्मीर में अकेले लड़ रही PDP भी अपना खाता नहीं खोल पाई. अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट से तो PDP की चीफ महबूबा मुफ्ती ही चुनाव हार गईं. 2019 में भी PDP अपना खाता नहीं खोल पाई थी. इसके अलावा असम में बदरूद्दीन अजमल की पार्टी (AIUDF) भी अपना खाता नहीं खोल पाई है. 2019 के चुनाव में बदरूद्दीन अजमल ने धुधरी लोकसभा सीट से जीत दर्ज की थी. इस बार बदरूद्दीन अजमल 10 लाख से अधिक वोटों से चुनाव हारे हैं.

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM और सुखबीर सिंह बादल की पार्टी शिरोमणी अकाली दल (SAD) भी न तो INDIA का हिस्सा है और न ही NDA का. इन दोनों को इसका खामियाजा उठाना पड़ा. दोनों की सीटें आधी हो गई. 2019 के लोकसभा चुनाव में AIMIM और SAD दो-दो सीटों पर जीती थी, लेकिन 2024 के चुनाव में दोनों की सीटें एक-एक हो गई. दोनों के वोट प्रतिशत में भी बड़ी गिरावट हुई है.

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