गुजरात हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल ने गांधीनगर में गुजरात नैशनल यूनिवर्सिटी (GNLU) के प्रशासन और उनके टीचर को फटकार लगाई है. साथ ही यह भी आरोप लगे हैं कि यूनिवर्सिटी के टीचरों ने बलात्कार, छेड़छाड़ और होमोफोबिया की घटनाओं को दबाने की कोशिश की है. चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल ने कहा कि “जीएनएलयू में प्रोफेसर और प्रशासन छात्रों की रक्षा कैसे कर सकते हैं” जब वे छेड़छाड़, बलात्कार, भेदभाव, समलैंगिकता, पक्षपात, दमन की घटनाओं को कवर करने में शामिल हैं.
दरअसल, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की ये टिप्पणी जीएनएलयू परिसर में बलात्कार, छेड़छाड़ से जुड़ी एक घटना के बाद आई है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा,एक साल पहले मामले की जानकारी शेयर की गई थी. इस मामले की जांच की गई थी जिसकी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी गई. रिपोर्ट के आधार पर ही मुख्य न्यायाधीश ने फटकार लगाई.
गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) केशव कुमार द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे विश्वविद्यालय प्रशासन और जीएनएलयू के रजिस्ट्रार और निदेशक द्वारा छात्रों के खिलाफ यौन प्रताड़ना की घटनाओं और उसके तथ्यों को दबाया गया है. रिपोर्ट में छेड़छाड़, बलात्कार, भेदभाव, समलैंगिकता, पक्षपात, छात्रों की आवाज को दबाने, आंतरिक शिकायत समिति की कमी के बारे में भी बताया गया है.
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पिछले साल इंस्टाग्राम पोस्ट की सच्चाई सामने वाली समिति को भी दबा दिया था. समिति की रिपोर्ट में बॉयज हॉस्टल में एक समलैंगिक छात्र के उत्पीड़न और बलात्कार की घटना को उजागर करने का दावा किया गया था. बता दें कि पिछले साल जब मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था तब कोर्ट ने सुओ मोटो लेकर जांच के आदेश दिए थे.
रिपोर्ट सामने आने के न्यायमूर्ति अनिरुद्ध माई की पीठ ने जीएनएलयू की स्थिति पर हैरानी व्यक्त करते हुए कहा अगर लॉ कॉलेज में यह स्थिति है, तो हम किसी को अपना चेहरा नहीं दिखा सकते”. रजिस्ट्रार और निदेशक पर आरोप हैं इसलिए उच्च स्तरीय जांच की जरूरत है.