अफ्रीकी देशों में सैन्य संघर्ष और पॉलिटिकल इंस्टेबिलिटी आम बात है. अफ्रीका के कई देशों से सैन्य संघर्ष की खबरें आए दिन आती रहती हैं. लेकिन अफ्रीकी देश बुर्किना फासो के हालात बद से बद्तर होते जा रहे हैं. यहां संघर्ष इतने बड़े पैमाने पर हो रहा है कि देश के 20 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं. हाल ही में HRW की रिपोर्ट में दावा किया गया कि देश की सेना ने 223 नागरिकों मौत के घाट उतार दिया है जिसमें करीब 56 बच्चें शामिल हैं.
2022 में हुए मिलिट्री कूप के बाद देश के हालात और ज्यादा खराब हो गए हैं. बुर्किना फासो में अल-कायदा और ISIS दोनों आतंकी संगठन सक्रिय हैं. सेना और इन संगठनों के बीच में होने वाले संघर्ष में अक्सर आम लोगों की जान जाने की खबरें आती रहती हैं. बता दें इस देश में 2015 से ही हालात बिगड़े हुए हैं, 2022 में सैन्य नेता पॉल-हेनरी सैंडाओगो दामिबा को देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति से हटाने के बाद से स्थिति और खराब हो गई है.
अफ्रीका के कई देश जलवायु परिवर्तन और राजनीतिक अस्थरता से जूझ रहे हैं, जिसकी वजह से पहले से ही गरीब आबादी बार-बार सूखा पड़ने से और हिंसा से गरीबी के दल-दल में फंसती जा रही है. हाल के सालों में पश्चिम अफ्रीका के कई देश हिंसाओं की वजह से अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में रहे हैं. जिसमें कई सशस्त्र बलों, राष्ट्रीय सेनाओं और अंतरराष्ट्रीय समूह के साथ-साथ स्थानीय मिलिशिया की आपसी लड़ाई शामिल है. बुर्किना फासो में अल कायदा और ISIS के सेना के साथ संघर्ष से करीब 20 लाख लोग अपना घर छोड़ चुके हैं. यही नहीं, बुर्किना फासो की सेना पर भी कई बार आम लोगों को मारने के आरोप लग चुके हैं.
हाल ही में HRW की तरफ से लगाए गए नागरिकों की हत्या के आरोप को बुर्किना फासो की सरकार ने नकार दिया है और देश में कई विदेशी मीडिया की कवरेज पर बैन लगा दिया है. बुर्किना सरकार के प्रवक्ता ने कहा, “नोडिन और सोरो में हत्याओं की वजह पता करने के लिए कानूनी जांच शुरू हुई है. लेकिन हम हैरान हैं HRW बिना जांच कैसे अपनी रिपोर्ट में दोषियों की पहचान कर रहा है?