वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में 07 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए
210 टन प्रतिदिन उत्पादन क्षमता के साथ सी0बी0जी0 के उत्पादन में देश में उत्तर प्रदेश का प्रथम स्थान

लखनऊ: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में लगभग सात लाख करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव यूपीनेडा को प्राप्त हुए हैं। इसमें से लगभग 57 हजार करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति-2022 के तहत बायो ऊर्जा क्षेत्र के हैं। इस क्रम मंे कम्प्रेस्ड बायोगैस, बायो डीजल तथा बायोकोल के प्लांटों की स्थापना हेतु 198 प्रस्तावों को यूपीनेडा द्वारा सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गयी है, जिनमें से 32 प्रस्तावों को पूर्व में राज्य स्तरीय समिति द्वारा अनुमोदन प्रदान किया जा चुका है। वर्तमान में 21 परियोजनाओं को राज्य स्तरीय समिति का अनुमोदन मंगलवार को प्रमुख सचिव, ऊर्जा व अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा प्रदान किया गया है। इस प्रकार कुल 53 जैव ऊर्जा परियोजनाओं के सापेक्ष  2,525 करोड़ रू0 के निवेश प्रस्तावों को राज्य सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है।
उल्लेखनीय है कि उ0प्र0 210 टन प्रतिदिन उत्पादन क्षमता के साथ सीबीजी के उत्पादन में देश मंे प्रथम स्थान पर है। जैव ऊर्जा की परियोजनाओं की स्वीकृति हेतु प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित है। मंगलवार को समिति की बैठक में विषय-विशेषज्ञ के रूप में आई0आई0टी0 दिल्ली के प्रो0 वी0के0 विजय, नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ बायो-एनर्जी कपूरथला पंजाब के डॉ0 सचिन कुमार, तथा लखनऊ विश्वविद्यालय की डॉ0 ज्योत्स्ना सिंह द्वारा प्रतिभाग किया गया। सम्पन्न राज्य स्तरीय समिति की बैठक में परियोजनाओं हेतु भूमि, बैंक लोन, फीड स्टॉक की उपलब्धता तथा ऑफटेक आदि से सम्बन्धित समस्त कार्यवाहियाँ पूर्ण होने के दृष्टिगत स्वीकृति प्रदान की गई। इस संदर्भ मंे कम्प्रेस्ड बायोगैस, बायो-पैलेट तथा बायो डीजल के उत्पादन संयंत्रों की स्थापना हेतु  736.80 करोड़ रू0 के 21 प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई। इसमें:-
 
उपरोक्त 21 परियोजनाओं की स्थापना से 110 टन प्रतिदिन सीबीजी, 92 टन प्रतिदिन बायो-पैलेट तथा 100 किलो लीटर प्रतिदिन बायोडीजल के उत्पादन क्षमता का प्रदेश में सृजन होगा। बैठक में अवगत कराया गया कि निवेशकर्ताओं द्वारा प्लॉण्ट के उत्पादन संयंत्रों की स्थापना हेतु मौके पर आवश्यक जमीन तथा पर्याप्त बायोमास की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली गई है। वित्त पोषण के लिए भी विभिन्न बैंकों से स्वीकृति प्राप्त कर ली गई है। इन संयंत्रों से उत्पादित होने वाले उत्पादों के आगामी विक्रय के लिए विभिन्न संस्थाओं से भी अनुबन्ध कर लिया गया है।

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