आखिरकार वो दिन आ गया जिसका इंतजार सामाजिक कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी के परिवार को महीनों से था. वो नरगिस मोहम्मदी जो महिलाओं के हक में आवाज उठाने और उनकी आजादी की मांग को लेकर सालों से ईरान की जेल में बंद हैं. नरगिस को नोबेल शांति पुरस्कार मिला, लेकिन जेल में बंद होने की वजह से वो ये अवॉर्ड नहीं ले सकती थी. ऐसे में उनके दोनों बच्चों ने इस सम्मान को लिया.
नरगिस के दोनों जुड़वा बच्चे अली और किआना जिनकी उम्र 17 साल है वो अपने पिता तगी रहमानी के साथ पेरिस में रहते हैं. किआना और अली रहमानी ने बीते रविवार को नॉर्वे की राजधानी ओस्लो सिटी हॉल में मां की जगह नोबेल शांति पुरस्कार स्वीकार किया. इस दौरान उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए तेहरान जेल में बंद अपनी का लिखे संदेश को पढ़ा. अपने पिता तगी रहमानी के साथ कार्यक्रम में पहुंचे बच्चों ने अपने बीच एक कुर्सी खाली छोड़ रखी थी. जो उनकी मां के सम्मान में थी.
नरगिस ने अपने संदेश में लिखा है कि वो ये संदेश जेल की ऊंची दीवारों के पीछे से लिख रही हैं, वो एक मध्य पूर्वी महिला है और एक ऐसी जगह से आती है जो समृद्ध सभ्यता के बावजूद आतंकवाद और उग्रवाद की आग में फंस गया. इसके आगे उन्होंने लिखा कि उन्हें यकीन है कि स्वतंत्रता और न्याय की रोशनी ईरान की जमीन पर चमकेगी और ईरान की सड़कों पर जीत की गूंज दुनिया भर में गूंजेगी. यहां के लोग अपनी दृढ़ता के जरिए हर बाधा हर मुश्किल को खत्म कर देंगे, और ऐसा जरूर होगा.
इस दौरान अली और किआना ने दुख जाहिर करते हुए कहा कि इस मौके पर उनकी मां नहीं है. उन्हें खुद ये सम्मान लेना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. इसके साथ ही किआना ने कहा कि वो ईरान की सभी सभी लड़कियों और महिलाओं को अपनी आवाज देती हैं, जिन्हें कोई चुप नहीं करा सकता. वहीं बेटे अली ने कहा कि उनकी मां का शरीर भले ही सलाखों के पीछे है, लेकिन उनकी कलम और विचार उन दीवारों को तोड़कर भी हम तक पहुंच गए.
इस दौरान नॉर्वे के राजा हेराल्ड और रानी सोनजा समेत नॉर्वेजियन नोबेल समिति की अध्यक्ष बेरिट रीस-एंडरसन ने मोहम्मदी के मानवाधिकारों और मजबूत संघर्ष की तारीफ की. कार्यक्रम में नरगिस की एक मुस्कुराती हुई तस्वीर रखी गई थी. इस दौरान रीस-एंडरसन ने कहा कि नरगिस ने उनसे इस तस्वीर को लगाने के लिए कहा था, ये तस्वीर बताती है कि नरगिस अपनी जिंदगी को कैसे जीना चाहती है.
रीस-एंडरसन ने कहा कि नरगिस ने किसी भी सजा को नहीं रोका, उसे जेल में 150 से ज्यादा कोड़े लगाने की सजा दी गई, उसे अस्पताल में इलाज के लिए भेजने के लिए हिजाब पहनने की शर्त रखी गई, जिससे नरगिस ने इनकार कर दिया. इसके आगे उन्होंने कहा कि जब नरगिस को हर चीज से महरूम कर दिया गया तब भी उसका हौसला नहीं टूटा और वो पूरी हिम्मत के साथ अभी भी इंसाफ के लिए लड़ रही है.
गौरतलब है कि 51 साल की नरगिस मोहम्मदी को 31 साल जेल की सजा सुनाई गई है. वो सालों से तेहरान की इविन जेल में बंद है, उनके बच्चों ने सालों से उन्हें नहीं देखा. ईरान की सरकार ने नरगिस को सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया था. हिजाब पहनने के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में हिरासत में लिए जाने के बाद ईरान में 22 साल की महसा अमिनी की पुलिस की हिरासत में मौत हो गई थी. उनकी मौत के ठीक एक साल बाद मोहम्मदी को शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.