
12 वर्षों से जगदीशपुर सीएचसी पर जमे चिकित्साधिकारी, सरकारी आदेशों की अनदेखी
संवाददाता गंगेश पाठक
जगदीशपुर, अमेठी। एक तरफ योगी सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए लगातार प्रयासरत है, वहीं दूसरी ओर कुछ अधिकारी सरकार की मंशा पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं।
जगदीशपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में 12 वर्षों से तैनात चिकित्साधिकारी संजय कुमार शासन के निर्देशों की अनदेखी कर रहे हैं। नियमों के मुताबिक, किसी भी चिकित्सक या स्वास्थ्यकर्मी को 3 वर्षों से अधिक एक ही स्थान पर तैनात नहीं रखा जा सकता, लेकिन यहां पर राजनीतिक संरक्षण और प्रशासनिक उदासीनता के चलते तबादलों को टाला जा रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जगदीशपुर सीएचसी की इमरजेंसी में अक्सर फार्मासिस्ट ही ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। मरीजों को डॉक्टर की जगह फार्मासिस्ट ही उपचार देते हैं, जो न केवल नियमों का खुला उल्लंघन है बल्कि मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ भी है।
अगर कोई मरीज या तीमारदार यह पूछे कि “डॉक्टर साहब कहां हैं?” तो जवाब मिलता है कि “डॉक्टर साहब अभी-अभी उठकर कमरे में गए हैं, खाना खाने या चाय पीने।”
इस प्रकार के जवाब अब स्थानीय लोगों के लिए आम हो गए हैं। गरीब और अनपढ़ मरीज तो अक्सर यह पूछने की भी हिम्मत नहीं जुटा पाते कि डॉक्टर वास्तव में मौजूद हैं या नहीं। जो फार्मासिस्ट बैठा होता है, उसे ही डॉक्टर समझ लिया जाता है।
फार्मासिस्ट भी इस स्थिति का पूरा फायदा उठाते हैं और मरीजों को छोटी पर्ची पर दवा लिखकर मेडिकल स्टोर से बाहर से दवा लाने की सलाह देते हैं। इससे मरीजों को सरकारी अस्पताल में मिलने वाली मुफ्त दवाइयों का लाभ भी नहीं मिल पाता और गरीब जनता को भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है।
डॉ. मनु विसेन वर्तमान में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) सरेसर में कार्यरत हैं। डॉ. इला सिंह की पोस्टिंग PHC थौरी में है। डॉ. एम. के. त्रिपाठी और डॉ. शरद चंद्र वर्मा दोनों सम्बद्ध (Attached) हैं और अपनी सेवाएं नियमित रूप से नहीं दे रहे हैं। डॉ. रजनी कुमारी, जो एक सर्जन हैं, फिलहाल CCL (चाइल्ड केयर लीव) पर हैं।
बाल रोग विशेषज्ञ (Pediatrician) का पद रिक्त है। रेडियोलॉजिस्ट (Radiologist) का पद रिक्त है। डेंटल सर्जन (Dental Surgeon) का पद भी रिक्त है।
सूत्रों के अनुसार, कुछ चिकित्सक जो जिला अस्पताल या अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में अटैच हैं, वे जगदीशपुर सीएचसी में बने सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए हुए हैं। ये चिकित्सक अपने सरकारी कर्तव्यों को दरकिनार कर सरकारी आवासों में ही सुबह और शाम मरीजों को देखने में व्यस्त रहते हैं।
इसके अलावा, एक विश्वसनीय सूत्र के अनुसार, डॉ. संजय भेल अपने आवास पर ‘राजकली क्लिनिक’ के नाम से निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं। इस क्लिनिक का रजिस्ट्रेशन किसी अन्य के नाम पर है, लेकिन वास्तव में ओपीडी संचालन वही कर रहे हैं। हर दिन सुबह-शाम ओपीडी में मरीजों को देखा जाता है, जिससे सरकारी सेवाओं की अनदेखी हो रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि मरीजों को बेहतर इलाज देने के बजाय इन्हें निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में रेफर किया जाता है, जिससे गरीब जनता को अतिरिक्त आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है।
शासन द्वारा तीन वर्ष की अवधि पूरी करने के बाद अधिकारियों और चिकित्सकों का स्थानांतरण किया जाना अनिवार्य है, लेकिन जगदीशपुर सीएचसी में वर्षों से तैनात चिकित्सक प्रभाव और राजनीतिक पकड़ के चलते अब तक यथावत बने हुए हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. अंशुमान सिंह ने इस पर प्रतिक्रिया दी और बताया कि डॉ. संजय का स्थानांतरण सिंहपुर किया गया था, अभिषेक शुक्ला का फुरसतगंज और एक अन्य का तिलोई, लेकिन राजनीतिक संरक्षण के चलते ये चिकित्सक स्थानांतरण पर नहीं गए।
उन्होंने आगे कहा, “जिन भी चिकित्सकों की तैनाती अवधि पूरी हो गई है, उनके स्थानांतरण हेतु स्वास्थ्य महानिदेशक तथा शासन को पत्र भेजा जा चुका है। जनपद में चिकित्सकों की कमी होने के कारण, जो चिकित्सक कार्य कर रहे हैं, उनके ऊपर कार्य की अधिकता है। इस कारण विशेष परिस्थितियों के अतिरिक्त जनपद में कार्यरत चिकित्सकों का स्थानांतरण नहीं किया जाता है। शासन स्तर से स्थानांतरण होने पर चिकित्सकों को कार्य मुक्त किया जाता है।”
इसके साथ ही, डॉ. अंशुमान सिंह ने कहा कि कई पत्रकारों ने अपने माता-पिता, भाई या अन्य परिजनों के नाम पर मेडिकल स्टोर खोलकर उनका संचालन कर रहे हैं। इसके अलावा, कुछ पत्रकारों ने मेडिकल स्टोर्स और नर्सिंग होम को भी संरक्षण दे रखा है और वे अपने-अपने तरीके से डॉक्टरों पर दबाव बनाने या उन्हें संरक्षण देने का प्रयास करते हैं। इस तरह की गतिविधियां स्वास्थ्य सेवाओं को और बाधित करती हैं।
यह खबर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और प्रशासनिक कार्रवाई की आवश्यकता को प्रमुख रूप से उजागर करती है।