सोमनाथ मिश्र ( संवाददाता )
बाराबंकी,सनातन योग फाउंडेशन द्वारा एक सप्ताह शीत शिविर सत्र के छठे दिन गुरु संदीपन ने ठंडक से होने वाली शारीरिक परेशानियों से बचने के लिए योगाभ्यास और सहज उपलब्ध आयुर्वेदिक उपचार बताया।गुरु संदीपन ने शीत शिविर सत्र के दौरान योग साधकों को शीत काल में योग साधना का अभ्यास शुरू करने से पहले गुनगुना पानी पीकर अभ्यास करने को कहा!योग साधना के पांच चरण बताए -योग साधना अभ्यास के पहले चरण में श्वास – प्रश्वास पांच बार अवश्य करें, दस बार ताड़ासन,गरुणासन,वृक्षासन, कटिचक्रासन का अभ्यास करें दूसरे चरण में उप – योग और 21 बार सूर्य नमस्कार का अभ्यास करें।
तीसरे चरण में मलाशन,शशकासन,गौमुखासन, पश्चिमोत्तानासन,उष्ट्रासन का अभ्यास करें। चौथे चरण में उत्तानपादासन,कंधरासन,सर्वांगासन, चक्रासन,हलासन,पवनमुक्तासन,मार्कटासन,भुजंगासन, शलभासन और धनुरासन का अभ्यास करने के पश्चात 15 मिनट तक शवासन में विश्राम करें।पांचवें चरण में
नाड़ी शुद्धी करने के पश्चात कपालभाति प्राणायाम पांच बार जो समय आप सहजता से कर सकते हैं, नाड़ी शोधन प्राणायाम भी पांच बार जो समय आप सहजता से कर सकते हैं,सूर्यभेदी प्राणायाम ११ बार,भ्रामरी प्राणायाम ११ बार अभ्यास करें।गुरु संदीपन ने बताया शीत काल में गुनगुना पानी लेने से पाचन संस्थान, हृदय,किडनी दुरुस्त रहते हैं।अर्जुन क्वाथ शरद काल में प्रयोग करने से रक्त वाहिनियों शुद्ध होती है उच्च रक्तचाप,हृदय और लीवर के लिए लाभदायक है चुकंदर,गाजर,टमाटर,आंवला,धनियां,अदरक,लहसुन इनका सेवन प्रतिदिन शीत काल में करने से शरीर शुद्ध और शरीर रोग मुक्त रहता है।कफ के रोगियों को एक डली गुड़ का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए यदि उसमें एक चुटकी हल्दी मिला लें तो और अधिक लाभ मिलेगा!शहद एक चम्मच सेवन करने से आंत के संक्रमण से बचा जा सकता है नियमित शहद के सेवन से टाइफाइड जैसे रोग से बचा जा सजता है! शहद कफ रोग को भी शांत करता है।शीत काल में यौगिक क्रियाएं सर्दी से होने वाली शारीरिक परेशानियों से बचाव करती है और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करती हैं।

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