सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों की​याचिका खारिज की, एक लाख करोड़ रुपए के टैक्स नोटिस पर रोक लगाने की मांग की गई थी

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों झटका देते हुए टैक्स अधिकारियों द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और सुनवाई 8 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी. ई-गेमिंग फेडरेशन (ईजीएफ) ने प्ले गेम्स24×7 और हेड डिजिटल वर्क्स सहित कंपनियों के साथ मिलकर पुराने 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक जीएसटी क्लेम के खिलाफ सामूहिक रूप से याचिका दायर की थी. टैक्स नोटिस पर रोक लगाने की याचिका खारिज होने के बाद, कंपनियों को डर है कि ऐसे और भी नोटिस टैक्स अधिकारियों की ओर से जारी किए जा सकते हैं.

खास बात तो ये है कि गैंबलिंग वर्सेज स्किल बेस्ड ऑनलाइन गेमिंग पर कानूनी बहस का कोई हल नहीं हो सका है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने गेमिंग इंडस्ट्री की अपील पर नोटिस जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमण की अध्यक्षता वाले सरकार के वकीलों को अभी तक उनकी याचिका की कॉपी नहीं नहीं मिली है.

ईजीएफ और गेमिंग फर्मों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से टैक्स अधिकारियों को मामले की दोबारा सुनवाई होने तक आगे नोटिस ना जारी करने का आग्रह किया था. 27 सितंबर की मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) बीते पांच सालों के लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपए के टैक्स नोटिस जारी करने जा रहा है. नाम न छापने का अनुरोध करने वाले तीन उद्योग अधिकारियों के अनुसार, गेम्स24×7 पर 20,000 करोड़ तक का अनुमानित टैक्स क्लेम है. इसी तरह की याचिकाओं का सामना कर रहे कई गेमिंग फर्मों के साथ काम करने वाले एक अधिकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा डीजीजीआई टैक्स क्लेम पर रोक लगाने से इनकार करना “कोई बड़ा झटका नहीं” है. आगे की सुनवाई शुरू होने पर कंपनियां ओवरआॅल टैक्स के बोझ से राहत पाने के तरीकों को करेंगी.

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने 5 दिसंबर को संसद को बताया कि अक्टूबर के अंत तक, गेमिंग कंपनियों को 1.12 लाख करोड़ रुपए के 71 कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे. जीएसटी क्लेम के तहत नोटिस देने की शुरुआत बेंगलुरु की ऑनलाइन गेमिंग स्टार्टअप गेम्सक्राफ्ट के साथ शुरू हुई थी. तब कंपनी को डीजीजीआई की ओर से 21,000 करोड़ रुपए का टैक्स क्लेम का नोटिस भेजा गया था. कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसके बाद डीजीजीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी.

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