बाराबंकी(सोमनाथ मिश्र संवाददाता): पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार सिंह के नेतृत्व में गुरुवार को बाराबंकी पुलिस द्वारा धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकरों और ध्वनि विस्तारक यंत्रों की जांच और मानकीकरण का अभियान चलाया गया। इस अभियान के तहत पुलिस ने जिले के विभिन्न धार्मिक स्थलों का निरीक्षण कर वहां लगे अवैध लाउडस्पीकरों को हटाने के साथ ही, जिन लाउडस्पीकरों की आवाज मानक से अधिक थी, उन्हें कम कराकर नियमों के अनुरूप कराया।पुलिस ने धार्मिक स्थलों के प्रभारियों को स्पष्ट निर्देश दिए, कि ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग निर्धारित मानकों के अनुसार ही किया जाए। साथ ही, अतिरिक्त लाउडस्पीकर लगाने पर रोक लगाने की सख्त हिदायत दी गई। बाराबंकी पुलिस ने यह निर्णय लिया है कि धार्मिक स्थलों से हटाए गए लाउडस्पीकरों और ध्वनि विस्तारक यंत्रों को जरूरतमंद विद्यालयों और संस्थाओं में वितरित किया जाएगा। पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि यह अभियान केवल नियमों का पालन कराने के लिए नहीं है, बल्कि समाज में शांति और सौहार्द बनाए रखने का प्रयास भी है। उन्होंने कहा, सर्वधर्म सदभाव बना रहना चाहिए।धार्मिक स्थलों की मर्यादा भी बनी रहे और लोगों को भी कोई परेशानी न हो यही हमारी प्राथमिकता है। जिला की 40 लाख की आबादी में 12,000 से ज्यादा मंदिर और मठ है,10 लाख मुसलमानों में 2,000 से ज्यादा मस्जिदें,दो हजार से ज्यादा इमामबाड़े,500 से ज्यादा दरगाहें और अन्य धार्मिक स्थल हैं लेकिन हालिया प्रदेश की घटनाओं ने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर आवाम की जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।बाराबंकी के पुलिस कप्तान दिनेश कुमार सिंह ने सुबह के वक्त सुरक्षा का मुआयना किया, तो कई धार्मिक स्थलों में सुरक्षा की लापरवाही देखी गई। एस पी बाराबंकी ने बताया कि अपने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर लोगो को अधिक सजग और सचेत रहने की आवश्यकता है।कई मस्जिदों और मंदिरों में सीसीटीवी कैमरे तक नहीं लगे थे, और सुरक्षा चौकीदार भी कहीं नजर नहीं आए। कुछ स्थानों पर तो पुजारी या अज़ान देने वाले ही सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाते नजर आए, जो सुरक्षा के लिहाज से चिंता का विषय है। धार्मिक स्थल, चाहे वह मस्जिद हो, मंदिर हो, इमामबाड़ा हो या दरगाह हो, वहां लोग अपनी पूजा और इबादत के लिए आते हैं।सुबह की नमाज या पूजा के दौरान लोगो की बेहद कमी रहती है वह अपनी धार्मिक प्रथाओं में पूरी तरह लीन रहते हैं, लेकिन लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि इन स्थलों की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी उनकी पूजा।धार्मिक स्थलों की सुरक्षा न केवल पुलिस का दायित्व है, बल्कि यह हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी भी है। अगर हम इस जिम्मेदारी को सही तरीके से निभाएं, तो हम अपने धार्मिक स्थलों को सुरक्षित और संरक्षित रख सकते हैं।

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