गहलोत बोले-OBC कमीशन की सिफारिश पर हमने आरक्षण दिया, कुछ नहीं हो सकता
Jaipur : ओबीसी में शामिल 14 मुस्लिम जातियों के आरक्षण के रिव्यू पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत का बड़ा बयान आया है. अशोक गहलोत ने कहा, “ओबीसी आयोग ने जो 14 जातियों को आरक्षण दिया है, वह आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर दिया है. देश भर में ओबीसी में शामिल जातियों को उनके पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण दिया गया है. मेरे पहले कार्यकाल के दौरान कायमखानी, बिश्नोई, मेव, जाट जातियों को ओबीसी में शामिल किया गया था. ओबीसी कमीशन की सिफारिश पर हमने आरक्षण दिया, उनका कुछ नहीं हो सकता.”
भजनलाल शर्मा को लिखा पत्र
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं देने को लेकर सीएम भजनलाल शर्मा को पत्र लिखने की बात कही है. उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से पिछले सालों में धर्म के आधार पर आरक्षण की समीक्षा की बात कही है. देवनानी से पहले देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री भी यह बात कह चुके हैं.
4 जून के बाद हो रिव्यू
सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा है कि सरकार ने मुस्लिम समाज के 14 वर्ग को ओबीसी वर्ग का कोटा काटकर जो आरक्षण दिया है, वह गलत है। 1947 से 2013 तक क्रमवार तरीके से 14 मुस्लिम जातियों को ओबीसी कैटेगरी के अंदर डाला गया है, इस आरक्षण का सर्कुलर भी सरकार के पास मौजूद है। जिस पर 4 जून के बाद रिव्यू किया जाएगा। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर साहब ने लिखा है धर्म के आधार पर किसी जातीय वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए
ये मुस्लिम जातियां ओबीसी में शामिल
वर्तमान में राजस्थान के अंदर ओबीसी में 91 जाति-वर्ग शामिल हैं, जिनको आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है. इनमें नगारची-दमामी (मुस्लिम), राणा (मुस्लिम), बायती (बारोट मुस्लिम), सिंधी मुसलमान, सिपाही (मुस्लिम), फकीर (कब्रिस्तान में काम करने वाले), धोबी (मुस्लिम), मेव, कायमखानी, नागौरी, भिश्ती, मांगणियार, लखेरा, मिरासी, काठात, मेहरात, चीता, घोडात और बिसायती वो 14 मुस्लिम जातियां हैं जो इस वक्त राजस्थान में ओबीसी आरक्षण का लाभ ले रही हैं. प्रदेश की भजनलाल सरकार 4 जून के बाद इनकी समीक्षा कराएगी.
मुख्यमंत्री ने पहले ही दिए थे संकेत
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पहले ही लखनऊ में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका इशारा दे चुके हैं. उन्होंने कहा था कि, ‘राजस्थान में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाएगा. जिस प्रकार से संविधान आरक्षण का प्रावधान करता है, उसी के अनुसार ही आरक्षण दिया जाएगा. हम संविधान का सम्मान करते हैं और उसी के अनुसार नीतिया बनाते हैं. आरक्षण का लाभ केवल उन्हीं समुदायों को मिलेगा, जिन्हें संविधान में इसके लिए पात्र माना गया है.’