बांग्लादेश हिंसा पर सेक्युलर नेता चुप क्यों हैं

राघवेन्द्र प्रताप सिंह

पाकिस्तान के बाद दूसरे पड़ोसी देश में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ लगातार हो रहे अत्याचार और नफरती हिंसा ने दुनिया को झकझोर कर रख दिया है जबकि देश के सेक्युलर नेताओ ने निंदा करने के बजाय पूरी तरह से चुप्पी साध कर बैठ गए हैं l क्या हिंसा का विरोध भारत के सेक्युलर नेता इस लिए नहीं कर पा रहे कि देश के अल्पसंख्यक मुसलमान कहीं उनसे छिटक न जाएं l क्योंकि भारत में तथाकथित सेक्युलर नेताओ की राजनीतिक दुकाने ही उनके बदौलत चल रहीं हैं l लेकिन हिंसा के खिलाफ ऐसे नेताओ की चुप्पी एक बड़ा वर्ग समझ रहा है l बांग्लादेश की घटना ने भारत की उन नेताओ की पोल खोल दी है जो देश में घूम- घूम कर मोहब्बत की दुकान खोलने की बात कर रहे थे l भारत जोड़ों पद यात्रा करने वाले नेता यदि सच बोलने से डरते हैं तो ऐसे नेता से आम अवाम को न्याय की उम्मीद भी नहीं करनी चाहिए l हाल ही में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के लिए बांग्लादेश के एक समाचार पत्र में पत्रकार ने जो कुछ लिखा वह दुर्भाग्यपूर्ण है l आज देश में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी की सरकार है जिसकी विदेश नीति बहुत ही सफल है l मोदी की लोकप्रियता विरोधी पचा नहीं पा रहे इसीलिए अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं l अब विरोधी नेताओ द्वारा भारत में भी श्रीलंका और बांग्लादेश जैसी राजनीतिक आस्थिरता की बात कही जाने लगी है विरोधी बीजेपी का विरोध करने के बहाने अल्पसंख्यको को उकसा कर देश विरोधी होने का खुला परिचय दे रहे हैं l ये लोग बार -बार देश में इमर्जेंसी का हवाला देते हैं,प्रधानमंत्री मोदी को तानाशाह कहते हैं नहीं थकते जबकि गैर बीजेपी नेता बेलगाम हो चुके हैं l गैर बीजेपी नेताओ ने पिछले दो दशक में मोदी को क्या कुछ नहीं कहा है l देश के पीएम ने जब कहा कि मै चौकीदार हूं तो सेक्युलर दल और उनके नेता ने चौकीदार चोर है कहकर मोदी पर सीधे निशाना साधा, इस पर मोदी ने कोई टिप्पणी नहीं की है किन्तु देश की जनता ने खुलकर मोदी का समर्थन किया था और गैर बीजेपी नेताओ को सबक भी सिखाया l अब सवाल य़ह उठता है कि यदि भारत देश में इमर्जेंसी जैसे हालात हैं या होते तो विरोधी दलों के नेताओ की जुबान तल्ख नहीं होती और यदि मोदी वास्तव में ताना होते तो गैर बीजेपी नेताओ की जो हरकतें हैं और एक समुदाय विशेष के वोट को लेकर जिस तरह के अल्फाज़ वे प्रयोग करते आ रहे हैं ये लोग सलाखों के पीछे होते l जिस प्रकार से तुष्टीकरण की राजनीति करते हैं य़ह किसी से छिपा नहीं है l क्या ऐसा इमर्जेंसी में होता हैं l मोदी तानाशाह होते तो विरोधी नेता अभद्र टिप्पणी की हिमाकत कर सकता था नहीं l यदि ऐसा है तो वह ताना कैसा जो विरोधियों को सबक न सिखा दे l भारत में भी एक ऐसे तानाशाह की जरूरत है जो वेलगाम नेताओ को कानून के दायरे में रख सके l तथाकथित सेकुलर नेता देश के होकर भी देश के नहीं है,जब विदेश जाते हैं तो अपने ही देश की आलोचना करने से बाज़ नहीं आते l ऐसे नेताओ को सबक सिखाना बेहद आवश्यक हो गया है l नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देश लगातार आगे बढ़ रहा है l दुनिया में भारत का कद बढ़ा है य़ह जनता भी जान चुकी है किन्तु अपने ही देश के नेता अभी अंजान बने हुए हैं और सरकार के कार्यों की तारीफ करने बच रहे हैं l विरोधियों को पता चल गया है सरकार के जनहित कारी योजनाओं सही कहने का मतलब उनकी राजनीतिक दुकाने हमेशा के लिए बंद हो जाएगी l इसी तरह भारत की बढ़ती ताकत से चीन और अमेरिका को सबसे अधिक खतरा होगा वह हर मौके पर भारत को नुकशान पहुंचाने का असफल प्रयास करते रहे हैं l भारत के पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान,श्रीलंका,नेपाल बांग्लादेश आदि देशों में चीन अपना पांव पसारने पर उतारू है वहीं अमेरिका भी लगातर साजिश करने से बाज़ आ रहा है l भारत जैसे सशक्त देश के साथ भी साजिश हो सकती है यहां जिस प्रकार सेक्युलर दल के नेताओ द्वारा जातीय जनगणना की बात की जा रही है वह समाज तोड़ने के अतिरिक्त और कुछ नहीं है इससे हिन्दू बंट जायेंगे l बीते लोक सभा चुनाव में आरक्षण और संविधान समाप्त करने का अफवाह से हिन्दू मत बिखर गया था य़ह जान बूझ कर किया गया जिससे मोदी कमजोर हो जाये l अब बांग्लादेश ताजा उदाहरण है जो अन्य पड़ोसी देशों की अपेक्षा काफी सम्पन्न था बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के आरक्षण पर लिए गये निर्णय के बाद शुरूआत छात्र आंदोलन पीएम के इस्तीफ़ा और तख्ता पलट तक पहुंच गया पीएम शेख हसीना को देश से बाहर जाना पड़ा l बांग्लादेश अराजकता की भेट चढ़ गया l अस्थिरता और हिंसा का जो दौर शुरू हुआ तो नुकशान केवल और केवल वहां के अल्पसंख्यक समाज हुआ l आज भी वे असुरक्षित हैं उनके साथ हृदय विदारक घटनाये घटित हुई लूटपाट, माताओ ,बहनो की अस्मत सरेआम लूटा गया,उनके घरों व दुकानों को आग के हवाले कर दिए गए l जिस तरह हैवानियत हुई वह शब्दों में वया करना मुश्किल है l वहां बेगुनाहों की वेरहमी से हत्या होना स्पष्ट करता है कि शेख हसीना सरकार तो बस एक बहाना था वास्तव में आतंकियों और कट्टरपंथियों का अल्पसंख्यक समुदाय को ही निशाना बनाना था l बांग्लादेश में हो रहा नरसंहार का संज्ञान क्यों नहीं लिया जा रहा है l सरकार की दुश्मनी अल्पसंख्यक समुदाय से क्यों लिया जा रहा है l बांग्लादेश और पाकिस्तान अल्पसंख्यक समुदाय का जीवन संकट में है l बहादुर व शक्तिशाली नेता प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत में हैं । अब मोहम्मद युनुस प्रधानमंत्री बन गये l सता बदलते ही खालिदा जिया बाहर आ गयी मतलब य़ह स्पष्ट है कि बांग्लादेश सरकार अमेरिका व पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के षड्यंत्र का शिकार हुई है। बांग्लादेश में रह रहे 1.35 करोड़ हिंदु समाज के साथ जो बर्बर हिंसा की जा रही है वह पूरी मानवता को शर्मसार करने वाली है। शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से राजधानी ढाका सहित पूरे बांग्लादेश में हिन्दुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं । उनके घरों, प्रतिष्ठानों, दुकानों, मंदिरों को आग लगाई जा रही है उन्हें लूटा जा रहा है। बांग्लादेश में हो रही हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा में इस्कॉन के प्रसिद्ध मंदिर के साथ साथ कम से कम 300 मंदिरों को क्षतिग्रस्त किया जा चुका है, लूटा जा चुका है और आग के हवाले किया जा चुका है। हिंदू अल्पसंख्यकों के बाद सिख, जैन, बौद्ध व अल्पसंख्यक ईसाई समाज के साथ भी अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है। बांग्लादेश के उपद्रवियों का मानना है कि है वहां के अल्पसंख्यक शेख हसीना के समर्थक रहे हैं और उन्हीं के वोटों से वह बार बार प्रधानमंत्री बनती रही हैं । छात्र आंदोलन को हाईजैक करने वाले इस्लामिक कट्टरपंथी अब हिंदू समाज से बदला ले रहे हैं।

बांग्लादेश में छात्र आंदोलनकारी यदि केवल आरक्षण विरोधी आंदोलन कर रहे थे तो वह आंदोलन अब तक समाप्त हो जाना चाहिए था किंतु अब इस हिंसा ने कुछ और ही परिदृश्य बना दिया है। बांग्लादेश में सरकार विरोधी हिंसा अब हिंदू विरोधी हिंसा में परिवर्तित हो चुकी है l बांग्लादेश की हिंसा में साधारण हिंदू जनता से लेकर विकास में अहम भूमिका निभाने वाले हिन्दू फिल्म अभिनेता, गायक,खिलाड़ियों के घरों व संपत्ति को भी नहीं छोडा गया है। बांग्लादेश के लोकप्रिय गायक राहुल आनंद के घर जमकर लूटपाट की गई फिर आग लगा दी गई । हिंदू नेताओं के शव बरामद हो रहे हैं तथा वहां पर रहने साधु -संत भी हिंसा का शिकार हो गये हैं। बांग्लादेश में जारी हिंदू विरोधी हिंसा के भयानक वीडियो सोशल मीडिया में लगातार आ रहे हैं। कट्टरपंथियों के निशाने से शमशान तक नहीं बचे हैं। बांग्लादेश में शायद ही कोई जिला बचा हो जो उनकी हिंसा व आतंक का निशाना न बना हो। आंकड़ों के अनुसार बांग्लादेश में 2013 से 2022 तक हिंदुओं पर 3600 हमले हुए थे, कभी ईशनिंदा के नाम पर कभी किसी बहाने। बांग्लादेश में विभाजन के समय हिंदू 32 प्रतिशत थे जो अब आठ फीसदी से भी कम हैं बचे हैं वह भी जेहादी उत्पीड़न के शिकार हो रहे हैं । हिंदुओं का पलायन और तीव्रता के साथ होने की आशंका है। इसीलिए देश की सभी सुरक्षा एजेंसियां सीमा पर चौकन्ना हैं।
भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित सभी हिंदू संगठनों ने बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ घट रही हिंसा की निंदा की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के नये अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद युनूस को पहले बधाई दी फिर हिंदुओं की सुरक्षा करने की बात कही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर भी बांग्लादेश के हालात पर लगातार नजर रख रहे हैं।

भारत में बांग्लादेश की हिंसा पर दुख व चिंता है लेकिन दुर्भाग्य यह है भारत के विरोधी दल और उनके प्रवक्ता इसमें भी अपने वोट बैंक को खुश करने का प्रयास करते दिखाई पड़ रहे हैं। बांग्लादेश प्रकरण पर कांग्रेस अथवा इंडी गठबंधन दल के किसी भी नेता ने हिन्दुओं पर हो रही हिंसा की निंदा तक नहीं की है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सत्तालोलुप नेता तो यहाँ तक सपने देखने लगे कि “भारत में भी बबांग्लादेश जैसे हालात हो सकते हैं” जैसे बयान दे रहे हैं। इनमें कांग्रेस के नेता सलमान खुर्शीद से लेकर मणिशंकर अय्यर तक शामिल हैं। मणिशंकर अय्यर जो भारत में बांग्लादेश जैसे हालात का सपना देख रहे हैं l उधर पाकिस्तान ने कांग्रेस नेता व सांसद राहुल गांधी समेत पांच सांसदों के लिए आम भेजा है l राहुल गांधी ने हाल ही में सदन में हिंदुओं को हिंसक कहा था अब बांग्लादेश की हिंसा की निंदा करनेके बजाय चुप्पी साध गये हैं l
बांग्लादेश संकट पर चुप्पी साधने वालों में सलमान खुर्शीद और मणि शंकर अय्यर अकेले नहीं हैं फारूख अब्दुल्ला से लेकर महबूबा मुफ़्ती और उद्धव ठाकरे जैसे नेता भी मौन समर्थक हैं। उद्धव ठाकरे एक समय हिंदूवादी नेता माने जाते थे किंतु बांग्लादेश में हिंदुओ के साथ जो अमानवीय अत्याचार हो रहे हैं उसकी निंदा तक नहीं कर पा रहे हैं बल्कि इंडी गठबंधन के साथ उनके सुर में सुर मिला रहे हैं।


भारत में राजनीतिक वातावरण में हिंदुओं की सुरक्षा व अस्मिता ही सबसे सस्ती हो गई है क्योंकि वह जातियों में बंटा होने के कारण बड़ा वोट बैक नहीं बन सकता है। बांग्लादेश की घटनाओं से भारत के हिन्दू सबक लें ? वहां मारे जाने केवल हिन्दू हैं l
बांग्लादेश का यह सत्ता परिवर्तन भारत के लिए सिर दर्द साबित होगीं जो सरकार सत्ता में आयी है अब उसकी नैतिक दायित्व होगी अल्पसंख्याक समुदाय की ईमानदारी सुरक्षा करना l जो समस्या प्रधानमंत्री.शेख हसीना की सरकार से थी वह उनके से हटने के साथ समाप्त हो चुकी है l हसीना ने देश भी छोड़ दिया है l दहशत में जीने वाले परिवार को सुरक्षा की गारन्टी दिया जाना जरूरी है l आम अवाम में य़ह दहशत और है कि जो सरकार बनी है या आने वाले समय में चुनावों के बाद जो नयी सरकार बनेगी उसमें जमात -ए इस्लाम जैसे कट्टर आतंकवादी संगठन प्रभावी हो सकते हैं l ऐसे में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हित की बात वेमानी साबित होगी l

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