13,000 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ, यह पहल मछुआरों आय-सृजित करने के अवसर पैदा करने के लिए तैयार है – श्री परषोत्तम रूपाला


केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला ने कर्नाटक के मैंगलोर में इन प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया

13,000 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ, यह पहल मछुआरों और उनके परिवारों के लिए महत्वपूर्ण आय-सृजित करने के अवसर पैदा करने के लिए तैयार है – श्री परषोत्तम रूपाला

1 लाख रुपये (पहली शृंखला) और 2 लाख रुपये (शृंखला) तक की ऋण सहायता पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी – श्री रूपाला

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने केंद्रीय क्षेत्र की योजना प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का आज नई दिल्ली में आधिकारिक रूप से शुभारंभ किया। आज ही संभावित लाभार्थियों के बीच व्यापक जागरूकता फैलाने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग सत्तर स्थानों पर कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री परशोत्तम रूपाला ने कर्नाटक के मैंगलोर, में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्य पालन विभाग द्वारा आयोजित इन प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया।

कर्नाटक सरकार के मत्स्य पालन, पत्तन और अंतर्देशीय जल परिवहन मंत्री, श्री मनकला एस. वैद्य, विधायक मंगलुरु (उत्तर), डॉ. वाई. भरत शेट्टी, विधायक मंगलुरु (दक्षिण), श्री डी. वेदव्यास कामथ, मैंगलोर नगर निगम के महापौर, श्री सुधीर शेट्टी, मुख्य कार्यकारी, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, डॉ. एल.एन. मूर्ति, दक्षिण कन्नड़ (मंगलुरु) के उपायुक्त, श्री मुल्लई मुहिलन सांसद भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

परशोत्तम रूपाला ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के लाभों को साझा करने पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह योजना हमारे सभी पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को सभी क्षेत्रों, विशेषकर मत्स्य पालन क्षेत्र में सहायता प्रदान करेगी। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि नाव निर्माता और मछली पकड़ने के जाल निर्माता दोनों को इस योजना का लाभ मिलेगा। 13,000 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ, यह पहल मछुआरों और उनके परिवारों के लिए महत्वपूर्ण आय-सृजित करने के अवसर पैदा करने के लिए तैयार है, जो उन्हें सफलता प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी।

श्री रूपाला ने रेखांकित किया कि यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, क्योंकि यह हमारे देश के इतिहास में पहली बार है कि देश भर के कारीगरों और शिल्पकारों के उत्थान के लिए 13,000 करोड़ रुपये का पर्याप्त वित्तीय परिव्यय आवंटित किया गया है, जिसमें आरंभिक चरण में 18 पारंपरिक व्यापार शामिल किए गए हैं। 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर के साथ 1 लाख रुपये (पहली शृंखला) और 2 लाख रुपये (दूसरी शृंखला) तक की ऋण सहायता, पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी। इस अवसर पर उन्होंने पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों से भी बातचीत की।

मंगलुरु (दक्षिण) के विधायक श्री डी. वेदव्यास कामथ ने कर्नाटक में मत्स्य पालन क्षेत्र के मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रधानमंत्री विशवकर्मा योजना के शुभारंभ के लिए भारत सरकार को भी बधाई दी। संयुक्त सचिव (मत्स्यपालन), सुश्री नीतू कुमारी प्रसाद ने मछली पकडने के जाल निर्माता और नाव निर्माता का विशेष उल्लेख करते हुए पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के महत्व पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में कर्नाटक सरकार के निदेशक (मत्स्य पालन), श्री दिनेश कुमार कल्लर और मत्स्य पालन विभाग, सूक्ष्म, लघु और माध्यम उद्यम (एमएसएमई), केएफडीसी (कर्नाटक मत्स्य विकास निगम), भारतीय मत्स्य सर्वेक्षण (एफएसआई), राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी), भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल), प्रेस और मीडिया प्रतिनिधियों, मछुआरों, मछली श्रमिकों, मछली पकड़ने के जाल निर्माताओं के अधिकारी, नाव निर्माता एवं समस्त विश्वकर्मा समाज भी उपस्थित था। इस कार्यक्रम में मछुआरों, मछली किसानों, मछली पकड़ने के जाल निर्माताओं और नाव निर्माताओं, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों सहित 1200 से अधिक लोगों ने भाग लिया।

भारतीय अर्थव्यवस्था में कई कारीगर और शिल्पकार शामिल हैं जो अपने कुशल हाथों और पारंपरिक उपकरणों का उपयोग करते हैं, जो लोहार, सुनार, मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार, बढ़ईगीरी, मूर्तिकला और अन्य व्यवसायों सहित विभिन्न व्यवसायों में विशेषज्ञता रखते हैं। ये कौशल या व्यवसाय पीढ़ी-दर-पीढ़ी, दोनों परिवारों और कारीगरों और शिल्पकारों के अन्य अनौपचारिक समूहों में स्थानांतरित होते हैं। इन पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को ‘विश्वकर्मा’ के रूप में जाना जाता है। वे सामान्य रूप से स्व-रोज़गार युक्त होते हैं और बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्र का हिस्सा माने जाते हैं।

भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों या ‘विश्वकर्माओं’ को अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए शुरू से अंत तक सहायाता प्रदान करने के लिए पूरे भारत में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना को लागू करने की 16 अगस्त 2023 को मंजूरी दी थी। इस योजना के अंतर्गत पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को उनके प्रयास को गति देने के लिए प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी, ऋण और बाजार सहयाता के प्रावधान किए गए हैं। मत्स्य पालन क्षेत्र में, मछली पकड़ने के जाल बनाने वाले और नाव निर्माता इस प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के संभावित लाभार्थी हैं। भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र सावधानीपूर्वक किए गए बहुआयामी हस्तक्षेपों के माध्यम से प्रगति के पथ पर है और प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना पूरी तरह से उभरते क्षेत्र को गति देने जा रही है।

संभावित हितधारकों तक पहुँच बनाने और योजना के कुशल कार्यान्वयन के लिए, जिससे पात्र लाभार्थी योजनाओं का लाभ उठा सकें, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का मत्स्य पालन विभाग आवश्यक संरक्षण प्रदान करने के लिए दृढ़ प्रतिबद्ध है।

shailjanews: