बाराबंकी,(संवाददाता सोमनाथ मिश्र): हिन्द मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में गुरुवार 03 अप्रैल को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग एवं राजकीय जिला पुस्तकालय, बाराबंकी में स्थापित तनाव प्रबंधन प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में “परीक्षा पर्व” विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में जनपद के सभी खण्ड शिक्षा अधिकारी, डायट प्रशिक्षक सहित समस्त माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा से जुड़े राजकीय, अशासकीय सहायता प्राप्त, वित्तविहीन विद्यालयों के प्रधानाचार्य, शिक्षक एवं अभिभावकों ने लगभग 700 संख्या में प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित उप जिलाधिकारी आनंद तिवारी एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित कार्यक्रम नोडल जिला विद्यालय निरीक्षक ओ०पी० त्रिपाठी द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। सभी अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ से किया गया। कार्यक्रम का संचालन नेशनल इंटर कॉलेज, फतेहपुर के प्रवक्ता अशीष पाठक ने किया। कार्यक्रम के आरंभ में अभिभावक के रूप में कार्यशाला में उपस्थित जे०पी० वर्मा ने परीक्षा के दौरान एवं परीक्षा के पश्चात परीक्षार्थियों को होने वाले तनाव, उसके प्रबंधन सहित विद्यार्थियों और अभिभावकों दोनों के लिए समय प्रबंधन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। खण्ड शिक्षा अधिकारी, देवा रामनारायण ने प्राथमिक कक्षाओं से ही प्रवेश के साथ नौनिहालों पर अनावश्यक बोझ डालने की अभिभावकों की प्रवृत्ति पर अंकुश की आवश्यकता पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि अभिभावकों द्वारा बच्चों को स्पेस के साथ सुरक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है। प्रधानाचार्य दिनेश चन्द्र पाण्डेय ने कहा कि परीक्षा के दौरान एवं पश्चात बच्चे के तनावग्रस्त होने की वजह तलाश करने की आवश्यकता है, ताकि उस पर विचार किया जा सके तथा कार्य किया जा सके। समाज क्या कहेगा यह महत्वपूर्ण नहीं है, बच्चा क्या चाहता है, यह महत्वपूर्ण है। खण्ड शिक्षा अधिकारी, हरख अर्चना ने व्यक्तिगत अनुभव की चर्चा करते हुए उपस्थित अभिभावकों और शिक्षकों से अनुरोध किया कि बच्चों के परिणाम का आंकलन उसकी तुलना अन्य से न करके उसके अंदर जो प्रतिभा है, उस प्रतिभा को सामने आने का अवसर प्रदान करें। कार्यक्रम नोडल डॉ० पूनम सिंह ने कहा कि प्रतिभा का आंकलन करते समय अभिभावकों और शिक्षकों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक बच्चे की प्रतिभा, सोचने का तरीका, कार्य का तरीका और परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं अतः शिक्षक सिर्फ शिक्षा देने की अपेक्षा अगर गुरू बनकर शिष्य के गुण को पहचाने, अभिभावक सामाजिक प्रतिष्ठा और महत्वकांक्षा बच्चों पर न थोपें तो निश्चित की बच्चे हर क्षेत्र में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हैं। प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कॉलेज, बेलहरा डी०पी० तिवारी ने अपनी कविता के माध्यम से अभिभावकों और शिक्षकों के सामने अपनी बात रखी और बताया कि शिक्षण पद्धति में बदलाव लाकर किस तरह से बच्चों के तनाव को कम किया जा सकता है। मुख्य अतिथि आनंद तिवारी ने कहा कि यदि किसी कार्य में रूचि नहीं है, तो तनाव ही देता है। बच्चा जो मंजिल तय करना चाहता है, उस सफर में उसका साथ दें। उन्होंने कहा अभिभावकों को बचपन से ही प्रबंधन सिखाना चाहिए, ताकि वह एक प्रबंधक के रूप में अपने समय, सफर और जीवन का सही प्रबंधन कर सकें। कार्यक्रम के अंत में बोलते हुए जिला विद्यालय निरीक्षक, बाराबंकी ओ०पी० त्रिपाठी ने अभिभावकों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा जीवन का प्रत्येक पल ही परीक्षा है, अगर माता-पिता, शिक्षक बच्चों को अपनी मंजिल स्वयं चुनने दें और संरक्षक, सुरक्षा कवच, मार्गदर्शक के रूप में सदैव एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करें, तो निश्चित ही बच्चों को तनाव और अवसाद की स्थिति से नहीं गुजरना पड़ेगा। यदि इसके बाद भी बच्चे तनावग्रस्त दिखायी देते हैं, तो तत्काल मनोचिकित्सक की सहायता लेने से संकोच नहीं करना चाहिए। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गान के साथ किया गया।

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