इस साल नवंबर में अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव होने हैं. जिसके चलते दोनों ही उम्मीदवारों की नजरें देश के वर्ग को अपने साथ लाने और अपनी पॉलिसीज को सही ठहराने पर है. वॉशिंगटन फंडरेजिंग इवेंट में बौलते हुए बाइडेन ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि अमेरिका की तरक्की और आर्थिक विकास में अप्रवासियों बड़ा योगदान हैं. साथ उन्होंने भारत, चीन, जपान और रूस के विकास में आने वाली परेशानियों की वजह इन देशों अप्रवासियों के लिए नफरत को बताया है.

बाइडेन ने ये बयान एशियाई अमेरिकी, मूल हवाईयन और पेसिफिक मंथ की शुरुआत में दिया है. बाइडेन अपने चुनावी प्रचार के लिए फंड जुटाने वाले एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे जिसमें उन्होंने कहा, “चीन आर्थिक रूप से इतनी बुरी तरह क्यों रुका हुआ है, जापान को क्यों परेशानी हो रही है, रूस को क्यों, भारत को क्यों, क्योंकि वे ‘ज़ेनोफ़ोबिक’ हैं. वे अप्रवासी नहीं चाहते हैं. अप्रवासी ही हमें मजबूत बनाते हैं.”

राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार बाइडेन के सामने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प हैं. ट्रम्प ने अमेरिका की जनता के सामने खुद को बतौर ‘आप्रवासी विरोधी’ पेश किया है. ट्रम्प ने सत्ता में वापसी के बाद आप्रवासन पर अंकुश लगाने और इसके खिलाफ कानून बनाने का वादा किया है. बाइडेन के इस बयान का आप्रवासी विरोधी लोगों में खासा विरोध देखने मिला है. इन लोगों का मानना है कि अमेरिका में अशांति की वजह बाहर से आए हुए लोग हैं.

मामले के तूल पकड़ने के बाद इस पर व्हाइट हाउस का भी बयान आया है. अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ ने रूस, चीन, भारत और जापान को विदेशियों से द्वेष रखने वाला बताने के संबंध में जो बाइडन के बयान का बचाव किया है. व्हाइट हाउस का कहना है कि अमेरिका अप्रवासियों का देश है और कोई अन्य देश अप्रवासियों का उस तरह स्वागत नहीं करता, जैसे अमेरिका करता है.

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन ज्यां-पियरे से जब बाइडन की इस टिप्पणी के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ”बाइडन ने एक व्यापक बिंदु पर टिप्पणी की थी कि देश में अप्रवासियों का होना कितना जरूरी है और कैसे इनके कारण हमारा देश मजबूत बनता है. वह इस बारे में बात कर रहे थे.

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