जकार्ता में लगभग 10.6 मिलियन घर डूबने की कगार पर दुनियाभर में ऐसे कई देश हैं जो किसी न किसी परेशानी से जूझ रहे हैं. किसी की अर्थव्यवस्था चरमरा चुकी है, किसी की आंतरिक सुरक्षा खतरे में हैं, कोई जल संकट झेल रहा है, तो कुछ देश ऐसे हैं जहां नौकरी ही नहीं है. लेकिन इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में रहने वाले लोगों की समस्या सबसे अलग है. शहर में रहने वालों के पैरों तले जमीन धीरे-धीरे, हर साल 25 सेंटीमीटर की दर से खिसक रही है. शहर के कुछ इलाके तो इतनी तेजी से डूब रहे हैं कि इन्हें बचाना नामुमकिन हो गया है. जकार्ता में लगभग 10.6 मिलियन घर डूबने की कगार पर हैं, और समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या सरकार इन लोगों का घर और अपनी राजधानी को बचा पाएगी?
इंडोनेशिया सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए अपनी राजधानी को नुसंतारा में शिफ्ट करने की योजना बनाई है. नुसंतारा शहर जकार्ता से लगभग 1,400 किमी उत्तर में स्थित है. रिपोर्टों से पता चलता है कि नए राजधानी शहर के निर्माण की परियोजना की लागत लगभग 35 बिलियन डॉलर है, और यह 2035 तक पूरी हो जाएगी. इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो ने अगस्त 2019 में पुनर्वास योजना को मंजूरी भी दे दी थी. जकार्ता बीते दस सालों में ढाई मीटर जमीन में समा गया है, लेकिन पानी पर बसे इस शहर पर निर्माण कार्य लगातार जारी है. शहर के नीचे से 13 नदियां निकलती हैं. वहीं दूसरी तरफ ये शहर समुद्र से घिरा हुआ है, जिस वजह से इसकी जमीन दलदली है. इसके अलावा बाढ़ की वजह से शहर का ज्यादा हिस्सा अक्सर पानी में डूबा रहता है. साथ ही जमीन के अंदर का पानी खत्म होना भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है.
जमीन के नीचे का पानी खत्म होने से ऊपरी जमीन कमजोर होती जा रही है. इंडोनेशिया के एक प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान ‘बैंडंग इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी’ में 20 सालों से जकार्ता की जमीन में बदलाव का अध्ययन कर रहे हैरी एंड्रेस ने इसे एक बेहद गंभीर समस्या बताया है.एंड्रेस ने बताया कि आंकड़ों को देखें तो 2050 तक उत्तरी जकार्ता का 95 फीसदी हिस्सा डूब जाएगा. साथ ही कहा कि जकार्ता के डूबने की दर दुनिया के तमाम तटीय शहरों के डूबने की दर से दोगुना से भी ज्यादा है. हालांकि, यह समस्या केवल जकार्ता तक ही सीमित नहीं है. सेमारंग (इंडोनेशिया), बैंकॉक (थाईलैंड), योकोहामा (जापान) और मैक्सिको सिटी भी धंसने के इसी तरह के खतरे का सामना कर रहे हैं.
जकार्ता में रहने वाले लोगों के लिए पानी की उपलब्धता एक बहुत बड़ी समस्या है. सप्लाई वाले पानी से लोगों का गुजारा नहीं चलता है. ऐसे में लोगों को अंडरग्राउंड वाटर के ऊपर निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन जैसे-जैसे लोग अंडरग्राउंड वाटर को निकालते जा रहे हैं वैसे-वैसे जमीन धंसती जा रही है. हालांकि, जर्काता में स्थानीय लोगों से लेकर उद्योगों को भी जमीन से पानी निकालने का अधिकार है, लेकिन इसके नियम की जरूरत है. बड़ी समस्या ये भी है कि लोग नियम से ज़्यादा पानी निकाल लेते हैं.
नुसंतारा बोर्नियो में स्थित है. ये दुनिया के सबसे बड़े द्वीपों में से एक है. द्वीप का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा इंडोनेशियाई क्षेत्र है, जबकि बाकी हिस्सा मलेशिया और ब्रुनेई का है. बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति विडोडो ने नुसंतारा का निर्माण शुरू करने के लिए लगभग 100,000 मजदूरों को भेजा था, और बाद में निर्माण कार्य में तेजी आने के साथ यह संख्या 150,000 से 200,000 के बीच हो गई. परियोजना की वेबसाइट से पता चलता है कि 2022 से जंगल में सड़कों का एक नेटवर्क बनाया गया है ताकि सरकारी सुविधाओं और अन्य कार्यालयों का निर्माण शुरू हो सके. इंडोनेशिया से पहले भी ब्राजील और नाइजीरिया जैसे देश अपनी राजधानी बदल चुके हैं. हालांकि जकार्ता के मामले में जलवायु संकट मुख्य वजह है, जिस वजह से ये सबसे अलग है. जलस्तर बढ़ने की वजह अत्यधिक भूजल दोहन बताया जा रहा है, जिसकी वजह से सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी पड़ रही है.