दिल्ली हाईकोर्ट ने जेल में बंद राजनेताओं को चुनाव प्रचार करने की इजाजत देने और राष्ट्रीय चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र विकसित करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी. दिल्ली हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिसमनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता जो कि एक कानून का छात्र है पर जुर्माना तो नहीं लगाया लेकिन उसके वकील से कहा कि वह उसे शक्तियों के पृथक्करण के बारे में सिखाए.

कोर्ट ने इस याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आप चाहते हैं कि गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए चुनाव प्रचार करने की अनुमति दी जाए. मैं आपको बता रहा हूं, अगर ऐसा किया जाता है, तो सभी खूंखार अपराधी राजनीतिक दल बनाएंगे. दाऊद इब्राहिम चुनाव लड़ेगा और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रचार करेगा. पीठ ने कहा कि वह राजनीतिक पचड़े में नहीं पड़ना चाहती, लेकिन हर कोई चाहता है कि कोर्ट राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करे. पिछले कुछ हफ्तों में कोर्ट ने कई याचिकाओं पर विचार किया है, इसमें या तो किसी व्यक्ति को जेल में डालने या उसे रिहा करने की बात कही गई है.

कोर्ट ने टिप्पणी की कि याचिका में दुष्प्रचार शामिल है और कोर्ट यह बात जानती है. इसमें प्रचार-प्रसार भी शामिल है, इन सब में कोर्ट को शामिल करने की कोशिश की जा रही है. यह रणनीति का हिस्सा बन रहा है और ऐसा मत सोचिए कि हम रणनीति को नहीं समझते हैं. याचिका में यह भी कहा गया कि याचिका कानून के मूल सिद्धांतों के उलट है. लोगों की यह धारणा है कि हम कानून से बंधे नहीं हैं. याचिकाकर्ता हमें कानून के विपरीत काम करने के लिए कह रहे हैं. आप हमें कानून बनाने के लिए कह रहे हैं.

कोर्ट ने चेतावनी दी कि वह याचिकाकर्ता पर 75 हजार से ज्यादा का जुर्माना लगाएगा क्योंकि कोर्ट ने इससे पहले एक याचिका पर अरविंद केजरीवाल के लिए असाधारण अंतरिम जमानत की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था और याचिकाकर्ता पर 75 हजार का जुर्माना भी लगाया था. हालांकि कोर्ट ने जुर्माना नहीं लगाया लेकिन कहा कि जैसा कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता एक कानून का छात्र है और जुर्माना नहीं लगाया जा सकता है, अगर वकील याचिकाकर्ता को शक्तियों के पृथक्करण के बारे में सिखाता है तो वह जुर्माना नहीं लगाएगा.

आपको बता दें कि यह जनहित याचिका अमरजीत गुप्ता ने दायर की थी और मांग की थी कि चुनाव आयोग को गिरफ्तार नेताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए से प्रचार करने की इजाजत देने के लिए एक तंत्र बनाना चाहिए, जब तक कि उन्हें दोषी न ठहराया जाए.

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि आगामी लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता 16 मार्च, 2024 को लागू होने के बाद अलग-अलग राजनीतिक नेताओं की गिरफ्तारी के समय से वह व्यथित हैं. उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का जिक्र किया और कहा कि गिरफ्तारी ने दिल्ली के लोगों को चुनाव अभियान में आम आदमी पार्टी से जानकारी पाने करने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया है.

Translate »