केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर में आतंकी और देश विरोधी गतिविधियों का समर्थन करने के आरोप में ‘मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर (मसरत आलम गुट)’/एमएलजेके-एमए पर यूएपीए लगाकर प्रतिबंधित कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद ट्वीट कर मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है. जम्मू-कश्मीर के हालात बेहतर बनाने की और केंद्र सरकार द्वारा कई प्रयास लगातार जारी हैं. एक प्रयास यह भी है कि जम्मू कश्मीर के हालात खराब करने वाले तत्वों समेत संगठनों पर कड़ी नजर रखी जाए. जहां-जहां जरूरत हो ऐसे तत्वों और संगठनों को प्रतिबंधित घोषित कर हालात पर काबू रखा जाए.

इसी प्रयास के चलते केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर संगठन (मसरत आलम गुट) को यूएपीए के तहत प्रतिबंधित घोषित कर दिया है. गृह मंत्रालय के अनुसार यह गुट और इस गुट के सभी सदस्य जम्मू कश्मीर में देश विरोधी समेत अलगाववादी गतविधियों को अंजाम देता था, जो कि आतंकवाद को सहायता प्रदान कर लोगों को जम्मू कश्मीर में इस्लामिक शासन को लेकर उसकाता था.

मसरत आलम का जन्म श्रीनगर के जैंदार मोहल्ला हब्बाकदल में 1971 को हुआ था. यानी तब कश्मीर घाटी में 90 के दशक में हालात खराब थी. तब मसरत अपने 20 वर्ष की उम्र में था और मसरत भी इस विचारधारा से काफी हद तक प्रभावित था और कश्मीर में गन कल्चर का समर्थक था.

मसरत आलम भट पहली बार बीएसएफ द्वारा तब आतंकी कमांडर मुश्ताक अहमद के साथी होने पर श्रीनगर में 1990 में पहली बार गिरफ्तार किया गया था. मसरत आलम इसके बाद रिहा हुआ और फिर वह दादा की दुकान पर काम करने लगा. इस बीच, कश्मीर विश्वविद्यालय से मसरत ने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की.

साल 1999 में मसरत ने सीधे तौर पर ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस, जोकि अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी द्वारा चलाए जा रहे संगठन, में शामिल हुआ. हुर्रियत कार्यकर्ता के तौर पर काम करने लगा, जिससे मसरत आलम को प्रमुख अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की सहायता से पहचान मिली.

ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस में सक्रिय तौर पर भागीदारी के कारण मसरत कई बार जेल गया, जिससे उसके शुरू किए गए गुट मुस्लिम लीग जम्मू कश्मीर को एक पहचान मिली. वह भी प्रमुख अलगावादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के नेतृत्व में, जिनको तब मसरत के मुस्लिम लीग से कोई आपत्ति नहीं थी. मसरत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घोषित आतंकी हाफिज सईद (2008 मुंबई हमलों का मुख्य आरोपी) के समर्थक रहा है.

मसरत ने पाकिस्तान और आईएसआई के निर्देश पर 90 के दशक में मस्जिदों के स्पीकर्स से विभिन्न राष्ट्र विरोधी और देश विरोधी नारेबाजी और तराने गाने के साथ-साथ सीधे-सीधे हाफिज सैयद जैसे वांटेड आतंकी की तारीफ होती थी.

मसरत आलम वर्ष 2010 में अलगाववादी नेता गिलानी के नेतृत्व में ऐसा अलगाववादी चेहरा बनके उभरा, जो कि युवाओं में गिलानी से भी ज्यादा प्रसिद्ध हुआ. मसरत ने तब गिलानी द्वारा शुरू ” कश्मीर छोड़ो”” मुहिम में एक अहम रोल निभाते हुए अलग से प्रदर्शनों के कैलेंडर जारी किए.

साल 2014 में आम लोगों की सेना और सुरक्षा बलों द्वारा सहायता करने पर भी मसरत ने तब आपत्ति जताई थी. साल 2015 में मसरत ने हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के दिल्ली से कश्मीर आने पर एक रैली के बीच पाकिस्तानी झंडा लहराया था. पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की थी, जिसके दूसरे दिन मसरत को फिर गिरफ्तार किया गया.

पाकिस्तान द्वारा गिलानी को ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद इस पद पर गीलानी के उत्तराधिकारी मोहम्मद अशरफ सेहराई को नियुक्त किया गया, जिसकी कोविड से मौत के बाद इस अलगाववादी संगठन की कमान मसरत आलम को फिलहाल सौंपी गई है.

गौरतलब हैं मुस्लिम लीग मसरत गुट के आज प्रतिबंधित होने से पहले अलगाववादी नेता शबीर अहमद शाह की जम्मू कश्मीर डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी को भी गृह मंत्रालय द्वारा यूएपीए हत प्रतिबंधित घोषित किया गया है और इस गुट की सभी गतिविधियों को देश विरोधी घोषित किया गया.

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