लखनऊ : एक तरफ बेरोजगारी को लेकर शोर मचा हुआ है। दूसरी तरफ ग्राम पंचायतों में तैनात किये जाने वाले पंचायत सहायक – डाटा एंट्री आपरेटर चयनित होने और कामकाज ग्रहण करने के बाद नौकरी छोड़ रहे हैं। पंचायतीराज निदेशालय से मिले आंकड़ों के अनुसार 3544 पंचायत सहायकों ने चयनित होने के बाद कार्यभार ग्रहण किया और फिर नौकरी छोड़ दी।

इस वक्त ऐसे रिक्त पड़े इन साढ़े तीन हजार पदों में सबसे ज्यादा 259 पद गोरखपुर मण्डल में रिक्त हैं। अब इनमें से 1670 रिक्त पदों को फिर से भरने की कार्रवाई की जा रही है। नौकरी छोड़ने की वजह वैसे तो कई हैं, मगर इनमें सबसे अहम वजह महज छह हजार रुपये मासिक का काम वेतन है।

दूसरी वजह नौकरी ज्वाइन करने के बाद किसी और अच्छी नौकरी का प्रस्ताव मिलना या फिर प्रतियोगी परीक्षा में चयन होना बताया जा रहा है। इसके अलावा नौकरी ज्वाइन करने के बाद भी कम्पयूटर पर काम करने की जानकारी न होना भी एक वजह है।

इन पंचायत सहायकों की भर्ती प्रक्रिया जिन शर्तों पर की जाती है, उसमें सबसे पहली शर्त है गांव का स्थायी निवासी होना, दूसरी शर्त है जिस आरक्षित वर्ग में ग्राम पंचायत आती है, उसी आरक्षित वर्ग का अभ्यर्थी ही चयनित किया जाएगा।

इसके अलावा हाईस्कूल व इण्टर की परीक्षा में सर्वाधिक प्राप्तांक भी जरूरी हैं। ऐसे भी अभ्यर्थी चयनित हुए जो ग्रेज्यूएट या पोस्ट ग्रेज्यूएट भी हैं। चयन तो हो गया मगर कम्प्यूटर चलाने की जानकारी नहीं हासिल की। इसलिए जब कम्प्यूटर पर काम करना पड़ा तो दिक्कत पेश आई।

कहने को तो पंचायतीराज प्रशिक्षण संस्थान में इन पंचायत सहायकों को ट्रेनिंग दी गई, मगर दो-तीन दिन की इस ट्रेनिंग में कम्प्यूटर चला कर खसरा, खतौनी, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र निकालना और ग्राम पंचायत से जुड़े अन्य कार्य करने की समुचित जानकारी नहीं मिली।

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