उत्तरकाशी टनल हादसे का आज 15वां दिन है. अभी तक रेस्क्यू टीमें अंदर फंसे 41 मजदूरों को निकालने में कायमाब नहीं हो पाई हैं. इसकी बड़ी वजह ड्रिल करते समय टनल में अंदर आए लोहे के सरिए और बड़े-बड़े पत्थर हैं. हालांकि, आज से मैनुअल ड्रिलिंग शुरू होगी. वहीं, टनल से मजदूरों के रेस्क्यू में अब बदलता मौसम भी चुनौती बनने वाला है. मौसम विभाग ने अगले दो दिनों तक उत्तरकाशी में बारिश और बर्फबारी का अलर्ट जारी किया है. आने वाले इस नए संकट से रेस्क्यू अभियान में जुटे कर्मचारी भी चिंतित हैं.
मौसम विभाग ने उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली में बारिश का अलर्ट जारी किया है. उत्तरकाशी में कई जगहों पर बर्फबारी हो सकती है. अगले दोल दिन तक ऐसा ही मौसम बना रहेगा. ऐसे में ठंड और बढ़ेगी. इसलिए रेस्क्यू में लगी टीमें भी चिंतित हैं .
शुक्रवार शाम से ही ड्रिल करते वक्त अवरोध उत्पन्न हो रहे थे. थोड़ी-थोड़ी दूर पर लोहे के सरिए और पत्थर आ रहे थे, जिसके चलते रेस्क्यू रुक गया था. लोहे के सरिए आने की वजह से ऑगर मशीन के ब्लेड टूटकर अंदर फंसे हुए हैं, जिसे निकालने की कवायद शनिवार सुबह से ही हो गई थी, तब से उस ब्लेड को मैनुअल तरीके से काटा जा रहा था. लेकिन अब हैदराबाद से मंगवाया गया प्लाज्मा कटर टनल में पहुंच गया है.
शनिवार रात को तकरीबन 10 बजे प्लाज्मा कटर जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचा. उसके बाद रात करीब तीन बजे कटर को सिलक्यारा टनल पर लाया गया, जिसके बाद उसको अंदर ले जाया गया और अब प्लाज्मा कटर ने ऑगर मशीन के फंसे ब्लेड को काटना शुरू कर दिया है. ब्लेड को काटकर बाहर निकाला जाएगा फिर उस जगह को पूरी तरह साफ किया जायेगा. उसके बाद ही टनल के अंदर बचे 10 मीटर ड्रिल के काम को मैनुअल तरीके से शुरू किया जाएगा. इसलिए देखा जाए तो आज देर रात या कल सुबह से ही मैनुअल ड्रिलिंग का काम शुरू हो पाएगा.
अंदर फंसे मजदूरों से शुरू में वॉकी टॉकी के ज़रिए बात होती थी. उसके बाद माइक्रोफोन का इस्तेमाल किया गया. लेकिन राहत भरी ख़बर ये है कि अब टनल में अंदर फंसे मजदूर अपने परिजनों से लैंडलाइन फोन पर बात कर सकेंगे. इसके लिए पूरा सेटअप तैयार कर लिया गया है. लैंडलाइन नम्बर अंदर फंसे मजदूरों को दिया जाएगा, जिससे वह अपने परिजनों से बात करेंगे.