कानपुर हिंसा की जांच कर रही एसआईटी ने अपनी जांच में बड़े खुलासे किए है. एसआईटी ने रिपोर्ट में कहा है कि नुपूर शर्मा के बयान के खिलाफ भड़की हिंसा में हर पत्थरबाज को 1 हजार रुपए देने के लिए कहा गया था. इसमें से 500 रुपए एडवांस में भी दे दिए गए थे.

ठेले पर पत्थर भरकर लाने वालों को प्रति व्यक्ति 5 हजार रुपए देने के लिए कहा गया था. इसके अलावा पेट्रोल बम फेंकने वालों को भी 5 हजार रुपए देने के बात निकल कर सामने आई है. दंगे में युवाओं के साथ-साथ खासतौर पर नाबालिगों को भी शामिल करने के लिए कहा गया था.नाबालिगों को केवल हिंसा में आगे रखने और पथराव करने के लिए रखा गया था पुलिस ने अपनी केस डायरी में भी इसकी इंट्री की है. इसके मुताबिक इस बवाल में हर किसी का रोल अलग से तय था और हर किसी के रोल के हिसाब से उसके रुपए भी पहले से तय किए गए थे.

तीन जून को हुए बवाल में फाइनेंसरों और मुख्य साजिशकर्ताओं के रूप में सामने आए बाबा बिरयानी के मालिक मुख्तार बाबा, उसका बिल्डर साथी हाजी वसी और हयात जफर हाशमी ने बवाल से पहले अपनी कई संपत्तियों की खरीद फरोख्त की थी.इस तथ्य के सामने आने के बाद एसआईटी ने मुख्तार और वसी के बैंक खाते खंगालने शुरू कर दिए है.

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार यह इसलिए किया जा रहा है ताकि पैसे की फंडिंग कहां और कैसे हुई इसका पता लगाया जा सके, साथ ही उपद्रव से जुड़े अन्य लोगों और बिंदुओं की भी जांच की जा सके.3 जून को हुए दंगे में जो पर्चे पुलिस ने कोर्ट दाखिल किए है उनमे यह खुलासा हुआ है कि दंगाइयों को एक हजार से लेकर 5 हजार रुपये तक देकर पथराव के लिए तैयार किया गया था. इसके बाद एक नई बात और सामने आई कि हाजी वसी और हयात हाश्मी ने दंगे से पहले अपनी एक प्रॉपर्टी 1.35 करोड़ रुपये में बेची थीं. इन दोनों पर यह भी आरोप लग रहे है कि जो भी पैसा प्रॉपर्टी बेच कर आया है उसका इस्तेमाल दंगे में किया गया. पुलिस और एसआईटी ने सबसे पहले हयात जफर हाशमी और उसकी पत्नी के तीन बैंक खातों की जांच की थी लेकिन उसमे कुछ भी सामने नहीं आया था.

Translate »