The movement of the Maratha community became a familiar name of Marathwada throughout Maharashtra.

मराठा समुदाय का आंदोलन : मराठवाड़ा का एक परिचित नाम पूरे महाराष्ट्र में फैल गया

मराठा समुदाय का आंदोलन एक बार फिर महाराष्ट्र में सुलग उठा है. इस आंदोलन के कारण पिछले चार दिनों से जालना आंदोलन का केंद्र बना हुआ है. सरकार और विपक्ष सभी जालना शहर की ओर बढ़ने लगे. इस आंदोलन को पुनर्जीवित करने वाला मराठवाड़ा का एक परिचित नाम पूरे महाराष्ट्र में फैल गया. वो नाम है मनोज जारांगे पाटिल. कभी-कभी उन्होंने आजीविका के लिए होटल में काम किया था. इतना ही नहीं उन्होंने मराठा आंदोलन के लिए अपनी ज़मीन बेच दी. अब यह नाम प्रदेश में घर-घर में चला गया है.

दरअसल मनोज जारांगे पाटिल बीड जिले के रहने वाले हैं. मोटरी उनका गांव है. कुछ साल पहले उन्होंने अपना निवास स्थान बीड से जालना स्थानांतरित कर लिया था. वह जालना के पास अंबाद में अंकुशनगर में बस गये थे. उनके घर की स्थितियां सामान्य थीं. इसलिए उन्होंने एक बार आजीविका के लिए एक होटल में काम किया. लेकिन समाज सेवा में उनकी रुचि ने उन्हें चैन नहीं लेने दिया.

मनोज समाज में जाने लगे, चर्चा करने लगे. फिर उन्होंने मराठा आंदोलन खड़ा करने के लिए अपनी ज़मीन बेच दी. मराठा समुदाय को न्याय दिलाने के लिए कई मार्च निकाले, आमरण अनशन किया, सड़क जाम कर दिया. इस प्रकार मनोज जारांगे पाटिल का नाम पूरे मराठवाड़ा में फैल गया.

मनोज जारांगे पाटिल ने पिछले सात दिनों यानी 29 अगस्त से अपना अनशन शुरू कर दिया था. उनकी मुख्य मांग थी कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए. तीन दिनों तक उनकी भूख हड़ताल पर राज्य का ध्यान नहीं गया. लेकिन 1 सितंबर को उनका अनशन खत्म कराने के लिए बल प्रयोग किया गया तो इस बार बड़ी गड़बड़ी हुई. पुलिस ने इस दौरान लाठीचार्ज कर दिया. कई लोग घायल हुए और राज्य का ध्यान मनोज जारांगे पाटिल की ओर चला गया. मनोज जारांगे पाटिल के परिवार में पत्नी, चार बच्चे, तीन भाई और माता-पिता हैं.

मनोज जारांगे पाटिल ने कांग्रेस पार्टी के लिए काम किया है, लेकिन राजनीतिक माहौल में यह पनप नहीं सका. फिर उन्होंने शिवबा संस्था की स्थापना की. संगठन का काम तेजी से हुआ. कोपर्डी अत्याचार मामले में आरोपी पर हमला हुआ था. उस वक्त उनकी शिवबा संस्था पर आरोप लगे थे.

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