शिकायतकर्ता ने वर्तमान भाजपा विधायक पर आय से अधिक व बेनामी संपत्ति, बोगस कंपनियों और रिहायशी इलाकों में बेशकीमती जमीन व स्टाम्प चोरी का लगाया था गंभीर आरोप।

शिकायतकर्ता सात बिंदुओं पर विस्तृत जांच हेतु साक्ष्य के रूप में लोकायुक्त को सौंपा था भारीभरकम दस्तावेज़।

आर्यावर्त शिक्षण संस्थान के चेयरमैन व मिर्जापुर जिले के चुनार विधानसभा से भाजपा विधायक हैं आरोपी अनुराग सिंह

लखनऊ।

भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान विधायक अनुराग सिंह के विरुद्ध बेनामी संपत्ति व रिहायशी जमीनों पर अवैध कब्जे , स्टाम्प चोरी सहित तमाम गंभीर आरोप लगाते हुए लोकायुक्त से मार्च 2022 को शिकायत की गई थी। शिकायत के संदर्भ में लोकायुक्त ने दोनों पक्षों को नोटिस भेजकर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था । आरोप है कि विधायक द्वारा दिए गए नोटिस के मनगढ़ंत और भ्रामक जवाब को सत्य मानकर आगे की कानूनी प्रक्रिया लंबित करते हुए ठंडे बस्ते मे डाल दिया है।

लोकायुक्त को दिए गए जवाब में विधायक ने अपनी छवि धूमिल, ब्लैकमेलिंग करने और मिथ्या आरोप लगाए जाने तथा शिकायत को निरस्त करने का आग्रह किया गया है जबकि किसी भी आरोप का जवाब नहीं दिया गया है । शिकायतकर्ता का कहना है कि सात बिंदुओं के आरोप पर लोकायुक्त को सौंपे गए नोटिस के जवाब में किसी भी बिंदु का खंडन करने के बजाय शिकायत को लोपित करने, क्षेत्राधिकार से बाहर, ब्लैकमेलिंग करने, छवि धूमिल करने और अन्य तरह के मिथ्या आरोप लगाए हैं। इससे शिकायतकर्ता ब्यथित है। लोकायुक्त के लचर कार्यप्रणाली से हताश होकर न्याय की उम्मीद लेकर अब माननीय विधायक जी की शिकायत प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो से करेगा।
शिकायतकर्ता आशीष कुमार सिंह ने बिन्दुवार आरोप के साथ साक्ष्य के रूप में लगभग पांच सौ पेज का भारी-भरकम साक्ष्य सौंपा था और लोकायुक्त से उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी।

शिकायतकर्ता ने सात बिन्दुओं मे से पहले बिंदु में विधायक पर आरोप लगाया था कि कई बोगस कंपनियां बनाकर बेनामी संपत्ति निवेश किया है। एक ही पता दिखाकर कई कंपनियां बनाई है। इन बोगस कंपनियों में बेनामी संपत्ति खपाई गई है। लखनऊ सहित कई शहरों में रिहायशी जमीनों पर कब्जा करने का ‌आरोप लगाया है साथ ही ट्रस्ट के माध्यम से जमीन की हेरा-फेरी और स्टाम्प चोरी का बेहद गंभीर आरोप लगाया है। शिकायतकर्ता को आशंका है कि इतने गंभीर आरोप और साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद भी लोकायुक्त की तरफ से प्रवर्तन निदेशालय, सतर्कता अधिष्ठान, आयकर विभाग व केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो में से किसी को भी जांच सौंपी नहीं गई, कहीं सत्ता की हनक तो लोकायुक्त प्रशासन के हाथ बांध नहीं दिए।

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