रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार को 5वीं बार राष्ट्रपति बनने के बाद चीन दौरे पर पहुंचे हैं. इस यात्रा में चीन और रूस के बीच व्यापार समझौते के साथ-साथ रक्षा समझौते पर भी बात हुई है. चीन और रूस के बीच बढ़ रही करीबी ने अमेरिका के कान खड़े कर दिए हैं. अमेरिका पहले से ही चीन पर आरोप लगाता आया है कि वे यू्क्रेन के खिलाफ इस्तेमाल होने वाले सैन्य समानों को रूस को दे रहा है. अब इस यात्रा में हो रही रक्षा सहयोग पर चर्चा को लेकर पेंटागन ऑफिसर ने अपने चीनी काउंटरपार्ट को चेतावनी दे डाली है.

अमेरिकी रक्षा विभाग के बयान में बताया गया, “US के इंडो-पैसिफिक सुरक्षा सहायक सचिव एली रैटनर ने अंतरराष्ट्रीय सैन्य सहयोग के लिए चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग के डायरेक्टर मेजर जनरल ली बिन के साथ एक वीडियो लिंक के दौरान संबंधों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है.” रैटनर ने विवादित दक्षिण चीन सागर तट के पास चीन और फिलीपींस के बीच बढ़ते तनाव और उत्तर कोरिया के साथ मास्को के संबंधों पर भी ली पर दबाव डालने की कोशिश की है.

दोनों काउंटरपार्ट की वर्चुअल मीटिंग के बाद जारी रीडआउट के मुताबिक रैटनर ने अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत समुद्रों में नेविगेशन की आजादी का सम्मान करने और दक्षिण चीन सागर में फिलीपीन जहाजों के खिलाफ चीन की खतरनाक कार्रवाई रोकने का आग्रह किया. रैटनर ने रूस और उत्तर कोरिया के बीच संबंधों पर भी चर्चा की, साथ ही रूस की सैन्य कार्रवाई में के लिए चीन के समर्थन पर भी गंभीर चिंता जाहिर की है.

व्लादिमीर पुतिन ऐसे समय में चीन पहुंचे हैं जब रूस की सेना यूक्रेन में और एडवांस हो रही है. ये यात्रा दोनों देशों के रिश्तों को और गहरा करने के मकसद से हो रही है. क्योंकि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बाद से चीन रूस का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर बनके उभरा है. इस सहयोग में संयुक्त सैन्य अभ्यास के दायरे का बढ़ाने, नियमित संयुक्त समुद्री और हवाई गश्त का निर्धारण करने और अंतरराष्ट्री मुद्दों पर समन्वय को मजबूत करना शामिल है.

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