कुशीनगर । उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में जिला कृषि अधिकारी डॉ0 मेनका ने बताया कि राई व सरसों का रबी की तिलहनी फसलों में अग्रणी स्थान है। इसकी बुवाई अक्टूबर के प्रथम पखवाड़े से लेकर द्वितीय पखवाड़े तक जब तापमान लगभग 30 डिग्री सेल्सियस से कम हो जायें तभी करनी चाहिए। विलम्ब से बुवाई की दशा में माहूँ एवं अन्य कीटो एवं बीमारियो की सम्भावना अत्यधिक रहती है।
बीज जनित रोग जैसे- सफेद, गेरुई, अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा एवं तुलासिता रोग के नियंत्रण हेतु मेटालेक्सिल 35% W5 2 ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज की दर से बीज शोधन करके ही बुवाई करना चाहिए। उन्होंने बताया कि भूमि एवं बीज जनित रोगों के नियंत्रण हेतु बायोपेस्टीसाइड ट्राइकोडर्मा हरजियेनम 2% WP की 2.5 किग्रा मात्रा प्रति हे0 60-75 किग्रा सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर हल्के पानी का छींटा देकर 8-10 दिन तक छाया में रखने के उपरान्त बुवाई से पूर्व आखिरी जुताई पर सांयकाल में भूमि में मिला देने से भूमि जनित रोगो का प्रबन्धन हो जाता है। सरसो की फसल के अलावा अन्य फसलों में लगने वाले कीट व रोग एवं खरपतवार की समस्या के निवरण हेतु किसान साथी वाट्सएप न०- 9452247111 अथवा 9452257111 पर प्रभावित पौधों की फोटो सहित अपनी समस्या और पूरा पता लिखकर प्रेषित करें। समस्या का निराकरण 48 घंटे में किसान के मोबाइल पर कर दिया जायेगा।