उत्तरकाशी टनल हादसे का आज 11वां दिन है. सुरंग में फंसे सभी 41 मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से चल रहा है. बीते मंगलवार को रेस्क्यू मिशन के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने कहा था कि अगले 30 से 40 घंटे में देशवासियों को खुशखबरी मिलने वाली है. अब उनकी ये बात सच साबित होती दिखाई दे रही है. ऐसे इसलिए, क्योंकि प्लान ‘B’ के तहत अमेरिकन अर्थ ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम सक्सेज होता दिखाई दे रहा है. टनल में 57 मीटर तक मलबा जमा है और अमेरिकन अर्थ ऑगर 45 मीटर तक ड्रिलिंग कर चुकी है. अब सिर्फ 12 मीटर की ड्रिलिंग और होनी है. ये मशीन एक घंटे में 5 से 6 मीटर की ड्रिलिंग करती है. ऐसे में उम्मीद है कि अलगे 3 से 4 घंटे बेहद अहम होने वाले हैं.

दिवाली के दिन रविवार को सिल्क्यारा टनल हादसा हुआ था. इसमें 41 मजदूर सुरंग के अंदर फंस गए थे. दिवाली के दिन से ही रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. कई बार इसमें अड़चनें भी आईं. सुरंग के अंदर मजदूरों की हालत कैसी है, इसको लेकर पूरे देशवासियों को फिक्र हो रही थी. हादसे के 10वें दिन पहली बार मजदूरों का सीसीटीवी फुटेज आया तो सभी ने राहत की सांस ली. सुरंग के अंदर सभी मजदूर सकुशल हैं. रेस्क्यू कर रही टीमों के अधिकारियों ने उनसे बात भी की थी. मजदूरों को समय-समय पर खाना-पानी भी पहुंचाया जा रहा है.

रेस्क्यू टीम जिस तेजी से काम कर रही है, उसमें अब सफलता दिखती नजर आ रही है. NHIDCL के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने बताया कि मंगलवार रात 12 बजकर 45 मिनट पर दोबारा अर्थ ऑगर मशीन से ड्रिलिंग का काम शुरू किया गया था, जिसमें 22 मीटर से आगे ड्रिल कर पाइप डालना शुरू किया गया. अब तक 45 मीटर तक पाइप डालने का काम पूरा हो चुका है. महमूद अहमद का कहना है कि बुधवार देर रात तक हम सुरंग में फंसे मजदूरों के पास पहुंचने में कामयाब हो जाएंगे.


टनल में मलबा आने के दिन से शुरू हुए रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान प्लान ‘A’ के तहत मशीन से मलबा हटाया जा रहा था, लेकिन इनमें सफलता नहीं मिली थी. इसके बाद प्लान ‘B’ बनाया गया, जिसमें अमेरिकन अर्थ ऑगर मशीन से ड्रिलिंग करनी शुरू की गई. प्लान ‘B’ के दौरान बीच में जरूर मुश्किलें आईं, लेकिन अब वही प्लान ‘B’ के तहत सफलता मिलती नजर आ रही है.

मौके पर मौजूद अधिकारियों के मुताबिक, अमेरिकन अर्थ ऑगर मशीन 45 मीटर ड्रिलिंग करते हुए आगे बढ़ गई है. अगले चंद घंटों में मजदूरों तक माइल स्टील पाइप पहुंच जाएगा, जिसके जरिए मजदूरों को सकुशल सुरंग से बाहर निकाल लिया जाएगा.

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