कतर में 8 पूर्व नौसेना कर्मियों को मौत की सजा सुनाए जाने के मामले में भारत सरकार ने अपील दाखिल कर दी है. गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि हम सभी लीगल स्टेप पर विचार कर रहे हैं. कतर के अधिकारियों के साथ भी लगातार संपर्क रखा जा रहा है.

कतर की अल-दहरा कंपनी के आठ कर्मचारियों को 26 अक्टूबर को मौत की सजा सुनाई गई थी, उस पर आरोप क्या थे ये स्पष्ट नहीं किए गए थे. हालांकि मौखिक रूप से इन पूर्व नौसेना कर्मियों पर जासूसी के आरोप लगाए जाने की बात कही गई थी. सजा सुनाए जाने के बाद भारत सरकार की ओर से भी बयान जारी कर इस मामले में सभी विकल्पों पर वविचार करने की बात कही गई थी. अब भारत ने इस पर प्रयास शुरू कर दिए हैं.

गुरुवार को बातचीत में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि- ‘एक कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टेंस होता है, कतर कोर्ट ने जो फैसला सुनाया था वह बहुत ही गोपनीय है. इसीलिए उसे सिर्फ लीगल टीम के साथ शेयर किया गया है’. उन्होंने बताया कि लीगल टीम सभी विकल्पों पर विचार कर रही है, हमारी ओर से एक अपील भी फाइल कर दी गई है, इसके अलावा भारतीय विदेश मंत्रालय लगातार इस मामले में कतर के अधिकारियों के संपर्क बनाए हुए हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के मुताबिक 7 नवंबर को एजेंसी को काउंसलर एक्सेस मिल गई है, विदेश मंत्रालय के मुताबिक वह सभी पूर्व नौसेना कर्मियों और उनके परिवार के कांटेक्ट में हैं, बागची के मुताबिक इन परिवारों को काउंसलर असिस्टेंट उपलब्ध कराया गया है, मामला बेहद संवेदनशील है, हम इस पर पूरी तरह नजर रख रहे हैं. उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले विदेश मंत्री इन सभी 8 लोगों के परिवारों से मुलाकात भी कर चुके हैं.

कतर में 8 पूर्व नौसेना कर्मियों को गिरफ्तार किया गया है, इनमें कमांडर पूर्णेंदू तिवारी, कमांडर सुगुनाकर, पकाला, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागे, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन वीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन नवतेज सिंह गिल शामलि हैं. इन सभी पर जासूसी का आरोप लगाया गया है. यह पिछले एक साल से जेल में थे. ये सभी लोग कतर की अल दहरा कंसल्टेंसी कंपनी में काम कर रहे थे.

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