आदिपुरुष फिल्म को बैन करने के लिए लखनऊ हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिका।
बॉलीवुड का तमाशा अब होगा बंद- कुलदीप तिवारी
याचिका संख्या- 0728/2022
लखनऊ उच्च न्यायालय
कुलदीप तिवारी व अन्य VS यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य
हिंदुओं के आराध्य श्रीराम एवं रामायण के नाम पर बॉलीवुड फ़िल्म आदिपुरुष में श्रीराम, पवनपुत्र हनुमान, श्री लक्ष्मण, माता सीता, रावण इत्यादि सभी को अत्यंत ही आपत्तिजनक तरीके से दिखाया गया है। फ़िल्म में रामायण की कथा और पात्रों की वेशभूषा के साथ साथ डायलॉग व रामायण की प्रदत्त शिक्षा के साथ भी छेड़खानी की गई है जो कि बहुत ही निंदनीय है। फ़िल्म का टीजर रिलीज होने के बाद से ही इसको लेकर लोगों के मन आक्रोश है। इसी सम्बंध में जन उद्घोष सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष कुलदीप तिवारी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने लखनऊ हाईकोर्ट में 17 अक्टूबर को एक याचिका दाखिल की थी जिसमें केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, फ़िल्म सेंसर बोर्ड सहित फ़िल्म के डायरेक्टर ओम राउत, अभिनेता प्रभास, सैफ अलीखान, सनी सिंह, अभिनेत्री कृति सेनन, फ़िल्म के प्रोड्यूसर, प्रोड्यूसिंग कंपनी इत्यादि को पार्टी बनाया गया है। उक्त प्रकरण को लेकर लखनऊ हाई कोर्ट में कोर्ट संख्या 1 में आज 19 अक्टूबर को लगभग 20 मिनट की सुनवाई हुयी जिसमें अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने वादी की तरफ से अपना पक्ष दृढ़ता से रखा। जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस सरोज बाला की कोर्ट में यह सुनवाई हुई। कोर्ट की नोटिस के तहत आज केंद्र सरकार के वकील अश्विनी सिंह ने उपस्थित होकर अपना वकालतनामा दाखिल किया साथ ही राज्य सरकार ने भी अपना वकालतनामा माननीय हाईकोर्ट में लगाया। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए दो हफ्ते बाद का समय दिया है।
याचिका में कहा गया है कि फ़िल्म का यह टीजर न सिर्फ हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करता है और धार्मिक ग्रंथ से छेड़छाड़ करता है बल्कि सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1952 के रूल 38 में सेक्शन 5A और 5B का उल्लंघन भी करता है। सेंसर बोर्ड से प्रमाण पत्र प्राप्त किये बगैर यह टीजर आपत्तिजनक तरीके से सोशल मीडिया और अन्य चैनल्स में धड़ाके से दिखाया जा रहा है।
वरिष्ठ अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री एवं जन उद्घोष सेवा संस्थान के प्रमुख कुलदीप तिवारी वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण ( याचिका संख्या 350/2021), मध्यप्रदेश में भोजशाला प्रकरण सहित अन्य अनेकों महत्वपूर्ण व अलग अलग मामलों की लड़ाई विभिन्न न्यायालयों में लड़ रहे हैं।
-जन उद्घोष सेवा संस्थान
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